भारत की सैन्य शक्ति को बढ़ावा : अमेरिका से हथियार पैकेज, रूस ने दिया स्टेल्थ फाइटर जेट का प्रस्ताव

नई दिल्ली (एजेंसी)। भारत की रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने की दिशा में संयुक्त राज्य अमेरिका और रूस दोनों की ओर से महत्वपूर्ण पहल सामने आई हैं। अमेरिका ने भारत को आधुनिक सैन्य उपकरणों का एक बड़ा पैकेज देने की मंजूरी दी है, जबकि रूस ने भारत में ही अपने उन्नत स्टेल्थ लड़ाकू विमान के उत्पादन की पेशकश की है।
अमेरिका से मिला उन्नत रक्षा पैकेज
अमेरिकी रक्षा सहयोग एजेंसी (DSCA) ने कांग्रेस को भारत को प्रमुख हथियार प्रणालियों की बिक्री के बारे में सूचित किया है। यह सौदा भारत-अमेरिका की रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करेगा और भारत की सीमाओं की सुरक्षा को बढ़ाएगा।
पैकेज में शामिल प्रमुख उपकरण:
100 एफजीएम-148 जैवेलिन (Javelin) मिसाइलें: ये दुनिया की सबसे उन्नत कंधे से दागी जाने वाली एंटी-टैंक मिसाइलों में से हैं। इनका ‘टॉप अटैक’ मोड टैंकों के सबसे कमजोर ऊपरी हिस्से को निशाना बनाने के लिए जाना जाता है।
25 हल्के कमांड लॉन्च यूनिट (CLU): ये जैवेलिन मिसाइलों को दागने और नियंत्रित करने के लिए जरूरी हैं।
216 एक्सकैलिबर प्रिसिजन आर्टिलरी राउंड: ये जीपीएस गाइडेड गोला-बारूद लंबी दूरी पर भी अत्यंत सटीक निशाना साधने में सक्षम हैं, जिससे अनावश्यक क्षति कम होती है।
इस सौदे में उपकरणों के संचालन, रखरखाव, सुरक्षा जांच और सैनिकों के प्रशिक्षण के लिए आवश्यक संपूर्ण सहायक पैकेज भी शामिल है। अमेरिकी एजेंसी का मानना है कि इन हथियारों से क्षेत्रीय शक्ति संतुलन में कोई बदलाव नहीं आएगा। अमेरिकी कांग्रेस की समीक्षा के बाद यह सौदा आगे बढ़ेगा।
रूस की ओर से सुखोई-57 की पेशकश
इसी बीच, रूस ने भारत को अपने पांचवीं पीढ़ी के सुखोई-57 (Su-57) स्टेल्थ फाइटर जेट की पेशकश की है। रूस चाहता है कि इस उन्नत लड़ाकू विमान का उत्पादन भारत में ही किया जाए।
रूसी प्रस्ताव की मुख्य बातें:
मेक इन इंडिया उत्पादन: रोस्टेक (Rostec) के सीईओ के अनुसार, रूस ने सुखोई-57 लड़ाकू विमानों की आपूर्ति, लाइसेंस प्राप्त उत्पादन और भारतीय हथियारों के एकीकरण के साथ व्यापक प्रौद्योगिकी हस्तांतरण की पेशकश की है।
टेक्नोलॉजी ट्रांसफर: इस सहयोग में इंजन, एईएसए (AESA) रडार, ऑप्टिक्स, एआई-आधारित एवियोनिक्स और लो-सिग्नेचर (स्टेल्थ) जैसी अत्याधुनिक प्रणालियाँ शामिल होंगी।
दो सीटों वाला संस्करण: भारत की इच्छा पर इसका दो-सीटर संस्करण भी साझेदारी में विकसित किया जा सकता है।
हाल ही में, एक रूसी तकनीकी टीम ने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) का दौरा किया और पाया कि एचएएल के पास इस विमान के निर्माण के लिए लगभग 50 प्रतिशत आवश्यक सुविधाएँ पहले से ही मौजूद हैं।
सुखोई-57 की क्षमता
विशेषज्ञों के अनुसार, सुखोई-57 एक घातक, बहुउद्देश्यीय लड़ाकू जेट है, जो हवाई श्रेष्ठता और जमीनी हमले दोनों अभियानों को अंजाम देने में सक्षम है।
बेहतर क्षमताएँ: इसे अमेरिकी एफ-35 जैसे विमानों की तुलना में डॉगाइट (close-quarters combat) क्षमताओं, मजबूत संरचना और कम रखरखाव लागत के मामले में बेहतर माना जाता है।
स्टेल्थ और गति: यह रडार की पकड़ से दूर रहने में सक्षम है और इसमें जल्द ही एएल-51ए1 इंजन लगाया जाएगा, जिससे यह बिना आफ्टरबर्नर के भी लंबे समय तक सुपरसोनिक गति से उड़ान भर सकेगा।
ऑपरेशनल रेंज: इसकी ऑपरेशनल क्षमता उच्च हिमालयी क्षेत्रों से लेकर रेगिस्तानी इलाकों तक शानदार है।
ये दोनों घटनाक्रम—अमेरिकी पैकेज और रूसी प्रस्ताव—भारत की सैन्य आधुनिकीकरण की प्रक्रिया को महत्वपूर्ण रूप से गति प्रदान करने वाले सिद्ध हो सकते हैं।
















