कानून-व्यवस्था : ज़िला कलेक्टर्स की प्रथम और बड़ी जिम्मेदारी, मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कलेक्टर्स-कमिश्नर्स कॉन्फ्रेंस में दिए महत्वपूर्ण निर्देश

भोपाल (एजेंसी)। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने ज़ोर देकर कहा है कि ज़िले में कानून-व्यवस्था सुनिश्चित करने की प्राथमिक जिम्मेदारी ज़िला कलेक्टर्स की है, क्योंकि वे न केवल प्रशासनिक मुखिया हैं बल्कि ज़िला दण्डाधिकारी भी हैं। उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिए कि जन सुरक्षा, सुशासन और सेवा भाव प्रशासन की सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए।
त्वरित कार्रवाई और मजबूत समन्वय आवश्यक
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि कलेक्टर्स और पुलिस अधीक्षकों (एसपी) को अपने-अपने ज़िलों में प्रभावी सूचना तंत्र विकसित करना चाहिए। किसी भी घटना या दुर्घटना की सूचना मिलते ही उन्हें तत्काल मौके पर पहुँचना चाहिए, ताकि स्थिति को बिगड़ने से पहले ही नियंत्रित किया जा सके। ज़िला अधिकारियों की उपस्थिति से स्थिति नियंत्रण में बड़ी मदद मिलती है।
उन्होंने कलेक्टर और एसपी के बीच उच्च कोटि के तालमेल पर बल दिया। दोनों को संयुक्त रूप से कार्ययोजना बनाकर ज़िले की कानून व्यवस्था की निगरानी करनी चाहिए।
नक्सलवाद पर नियंत्रण और ज़ोनल प्लान
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने मार्च 2026 तक मध्यप्रदेश को पूरी तरह नक्सलवाद से मुक्त करने के लिए ठोस रणनीति बनाने को कहा। उन्होंने बालाघाट, मंडला और डिंडोरी ज़िलों के कलेक्टर्स और एसपी को अगले 6 माह में यह लक्ष्य केंद्रित कर पूरा करने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि नक्सली या तो आत्मसमर्पण करें, अन्यथा उन्हें ख़त्म कर दिया जाएगा।
उन्होंने बालाघाट कलेक्टर-एसपी को बधाई दी क्योंकि उनके प्रयासों से बालाघाट को केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा अति नक्सलवाद प्रभावित श्रेणी से सामान्य श्रेणी में डाउनग्रेड किया गया है। उन्होंने नक्सल प्रभावित गाँवों के 200 से अधिक युवाओं को रोजगार दिलाकर मुख्यधारा से जोड़ने के प्रयास की सराहना की।
कानून-व्यवस्था के दृष्टिकोण से मुख्यमंत्री ने सभी कलेक्टर्स को निर्देश दिए कि वे संकरी सड़कों वाली संवेदनशील बस्तियों को चिन्हित करें, जहाँ फ़ोर्स के आवागमन में समस्या आती है। स्थानीय नगरीय निकायों के सहयोग से अगले तीन माह में इन स्थानों का ज़ोनल प्लान तैयार करें, ताकि फ़ोर्स मूवमेंट सुगम हो।
संवेदनशीलता और अवैध गतिविधियों पर सख्ती
संवेदनशील पुलिसिंग और अपराध नियंत्रण
मुख्यमंत्री ने सेंसिटिव पुलिसिंग पर बल देते हुए कहा कि जनता में पुलिस के प्रति विश्वास भाव होना चाहिए। पुलिस को अपनी साख बनाकर अपराधों को रोकने में तत्परतापूर्वक कार्रवाई करनी चाहिए।
शैक्षणिक संस्थानों के पास निगरानी: स्कूल और कॉलेज के आसपास आपराधिक तत्वों पर लगाम कसने के लिए निगरानी तंत्र को तेज किया जाए, सूचना तंत्र विकसित किया जाए और चिन्हित स्थलों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं। नगरीय निकाय और पंचायतें भी पुलिस के सुझाव अनुसार कैमरे उपलब्ध कराएं।
महिला अपराध: महिला अपराधों के संबंध में काउंसलिंग की जाए और अन्य सामाजिक संगठनों को भी इस काम से जोड़ा जाए।
सरकारी अमले पर हमले: जहाँ शासकीय अमले पर हमले की अधिक घटनाएँ होती हैं, वहाँ कलेक्टर-एसपी अन्य विभागों के साथ बेहतर समन्वय कर कार्रवाई करें, ताकि ऐसी घटनाएँ दोहराई न हों और सख्ती से निपटा जा सके।
खाद-बीज वितरण: खाद-बीज वितरण की व्यवस्था में पुलिस और ज़िला प्रशासन सामंजस्य से काम करें, ताकि किसानों को समस्या न हो।
अवैध घुसपैठ और ड्रग कारोबार
अवैध बांग्लादेशी: प्रदेश में रह रहे अवैध बांग्लादेशियों को बाहर निकालने के लिए पुलिस और अन्य एजेंसियाँ संयुक्त रूप से सख्ती से काम करें। अब तक 19 बांग्लादेशियों को चिन्हित कर वापस भेजा गया है, यह कार्रवाई जारी रहनी चाहिए।
ड्रग्स एवं नशा: ड्रग्स के अवैध कारोबार और नशे पर अंकुश लगाने के लिए पड़ोसी राज्यों के साथ समन्वय किया जाए। कोरेक्स कफ सिरप के अतिशय उपयोग को भी नियंत्रित किया जाए। इंडस्ट्रियल बेल्ट में अवैध कारोबार पर बारीक निगाह रखी जाए। शेड्यूल एच ड्रग्स ओवर द काउंटर न बिकें और सभी दवाइयों का हिसाब फार्मासिस्ट अनिवार्य रूप से रखें।
न्यायिक और तकनीकी सुधार
आदतन अपराधियों की जमानत: कानून व्यवस्था को मजबूत करते हुए अपराधों में संलिप्त आदतन अपराधियों की जमानत ज़िला स्तरीय मॉनिटरिंग सेल के माध्यम से निरस्त की जाए।
साइबर अपराध: साइबर अपराधों के खिलाफ कार्रवाई में तेजी लाने के साथ-साथ जनजागृति अभियान चलाया जाए।
लंबित प्रकरणों की समीक्षा: पाँच वर्ष से अधिक समय से लंबित चिह्नित अपराध प्रकरणों की नियमित समीक्षा की जाए। दोषमुक्त प्रकरणों की समीक्षा के लिए गठित ज़िला दण्डाधिकारी की अध्यक्षता वाली समिति को यह देखना होगा कि कितने प्रकरणों की समीक्षा हुई और कितने अभियोजकों/अनुसंधान अधिकारियों को गलत विवेचना/अभियोजन के लिए दोषी पाया गया।
रोड सेफ्टी: रोड सेफ्टी प्रोटोकॉल्स का पालन कराकर सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए भरसक प्रयास करें।
शासन की छवि और सामूहिक लक्ष्य
मुख्यमंत्री ने कहा कि कानून व्यवस्था मजबूत रहने से विकास कार्यों को गति मिलती है। उन्होंने कलेक्टर्स से कहा कि वे और सभी मैदानी अधिकारी राज्य शासन के प्रतिनिधि हैं, और उनकी कार्यशैली ही शासन की छवि बनाती है।
मुख्य सचिव श्री अनुराग जैन ने कलेक्टर्स और एसपी से कहा कि वे स्पॉट की जीआईएस मैपिंग कर विस्तृत कार्ययोजना बनाएं ताकि किसी भी अप्रिय स्थिति की संभावना ही न रहे। डीजीपी श्री कैलाश मकवाना ने ईएचआरएमएस प्रणाली के लागू होने और सिंहस्थ 2028 की तैयारियों की जानकारी दी, जिसके तहत साइबर सुरक्षा मजबूत करने के लिए “सिंहस्थ साइबर वारियर योजना” के माध्यम से युवाओं को प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने विश्वास जताया कि मैदानी अधिकारियों की मेहनत और प्रतिबद्धता से शासन द्वारा तय किए गए लक्ष्य अवश्य प्राप्त होंगे।