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8वें वेतन आयोग पर बड़ा फैसला, सरकार ने नहीं मानी कर्मचारियों की यह मांग

नई दिल्ली (एजेंसी)। 8वें केंद्रीय वेतन आयोग के गठन को लेकर चल रही अटकलों के बीच, केंद्र सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि वह फिलहाल अपने कर्मचारियों को कोई अंतरिम राहत देने के प्रस्ताव पर विचार नहीं कर रही है। सोमवार को लोकसभा में एक लिखित प्रश्न का उत्तर देते हुए, वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने संसद को बताया कि सरकार केंद्रीय कर्मचारियों के महंगाई भत्ते (DA) को उनके मूल वेतन (Basic Salary) में जोड़ने पर भी विचार नहीं कर रही है।

गौरतलब है कि 8वें वेतन आयोग के गठन को कुछ महीने बीत चुके हैं, और केंद्रीय कर्मचारी संगठन लंबे समय से यह मांग कर रहा है कि महंगाई भत्ते को मूल वेतन में शामिल कर दिया जाए। दरअसल, संसद में पूछे गए प्रश्नों में यह तर्क दिया गया था कि केंद्र सरकार के कर्मचारी और पेंशनभोगी पिछले तीन दशकों की सबसे अधिक महंगाई का सामना कर रहे हैं। उनका मानना है कि महंगाई भत्ता (DA) और महंगाई राहत (DR) में किए गए बदलाव मौजूदा खुदरा महंगाई दर के अनुरूप नहीं हैं।

कर्मचारी यूनियनों ने इस स्थिति को देखते हुए सरकार से मांग की है कि 50 प्रतिशत महंगाई भत्ते को मूल वेतन में मिला दिया जाए। यह मांग विशेष रूप से तब की गई थी जब सरकार ने नवंबर में 8वें वेतन आयोग के लिए “टर्म्स ऑफ रेफरेंस” (विचारणीय विषय) की घोषणा की थी।

वहीं दूसरी ओर, सरकार ने हाल ही में सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक फर्जी संदेश का खंडन किया, जिसमें यह दावा किया गया था कि सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारियों को ‘वित्त अधिनियम 2025’ के तहत महंगाई भत्ते में बढ़ोतरी और भविष्य के वेतन आयोगों का लाभ मिलना बंद हो जाएगा।

सरकार ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) प्लेटफॉर्म पर एक पोस्ट में स्पष्ट किया कि यह दावा फर्जी है। उन्होंने बताया कि CCS (पेंशन) नियम, 2021 के नियम 37 में बदलाव किया गया था, जिसमें प्रावधान है कि यदि किसी PSU कर्मचारी को कदाचार के लिए नौकरी से बर्खास्त किया जाता है, तो उनके सेवानिवृत्ति लाभ जब्त कर लिए जाएंगे। यह हालिया बदलाव केवल CCS (पेंशन) नियम, 2021 के तहत आने वाले एक छोटे समूह से संबंधित था, जिसे पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग तथा वित्त मंत्रालय के परामर्श के बाद नियम $37(29C)$ में संशोधन करके किया गया था।

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