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पाकिस्तान के व्यापार आंकड़ों में हेरफेर : IMF की सख़्ती

नई दिल्ली (एजेंसी)। पाकिस्तान लंबे समय से आर्थिक बदहाली का सामना कर रहा है, और देश की अर्थव्यवस्था क़र्ज़ के सहारे चल रही है. पड़ोसी देश को लगातार क़र्ज़ देने वाला अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) अब उससे काफ़ी नाराज़ है. इसकी वजह यह है कि पाकिस्तान ने IMF को अपनी आर्थिक मदद के लिए गलत आँकड़े उपलब्ध कराए हैं. इस पर गुस्सा ज़ाहिर करते हुए IMF ने पाकिस्तान सरकार से साफ़ कहा है कि वह अपने व्यापार आँकड़ों में 11 अरब डॉलर की हेरफेर का सार्वजनिक रूप से ख़ुलासा करे और इस मुद्दे को सुलझाए. ‘एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ की एक रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान की सरकारी संस्थाओं ने पिछले दो सालों में हेरफेर वाले आँकड़े रिपोर्ट किए हैं.

पाक की साख पर सवाल

सरकारी सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट में बताया गया है कि पाकिस्तान रेवेन्यू ऑटोमेशन लिमिटेड (PRAL) द्वारा रिपोर्ट किए गए आयात के आँकड़े, वित्त वर्ष 2023-24 के लिए पाकिस्तान सिंगल विंडो (PSW) द्वारा रिपोर्ट किए गए आयात के आँकड़ों से 5.1 अरब डॉलर कम थे. अगले वित्त वर्ष में यह अंतर बढ़कर 5.7 अरब डॉलर हो गया. PSW के आयात आँकड़ों को ज़्यादा व्यापक और सटीक माना जाता है. हैरानी की बात यह है कि ये आँकड़े स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के फ्रेट-ऑन-बोर्ड-आधारित आयात डेटा से भी ज़्यादा निकले. यही वह आँकड़े होते हैं जिनका उपयोग देश के बाह्य संतुलन (external balance) की गणना में किया जाता है.

IMF ने माँगी पारदर्शिता

IMF ने कथित तौर पर अपनी समीक्षा वार्ता शुरू होने से पहले पाकिस्तान स्टेटिस्टिक्स ब्यूरो (PBS) से संपर्क किया था, जिसके बाद योजना एवं विकास मंत्रालय के साथ भी बातचीत की गई. इन बैठकों के दौरान, IMF ने सुझाव दिया कि पाकिस्तान व्यापार आँकड़ों में विसंगतियों और कार्यप्रणाली में बदलावों को स्पष्ट करने के लिए एक स्पष्ट संचार नीति अपनाए. इससे सरकार और डेटा उपयोग करने वालों के बीच अविश्वास को रोका जा सकेगा.

पाकिस्तानी अधिकारियों ने मानी त्रुटि

रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तानी अधिकारियों ने ख़ुद इस ग़लती को स्वीकार किया है. उन्होंने बताया कि जिनेवा स्थित अंतरराष्ट्रीय व्यापार केंद्र को प्रस्तुत किए गए व्यापार आँकड़े व्यापक नहीं थे, और उन्होंने यह भी माना कि इस डेटा में से कुछ आयात आँकड़े ग़ायब थे. उन्होंने सुझाव दिया कि कम रिपोर्टिंग के ये आँकड़े, दरअसल, मुख्य व्यापार आँकड़े स्रोत के रूप में PRAL से PSW में बदलाव का परिणाम थे. PRAL फ़ेडरल बोर्ड ऑफ रेवेन्यू के अधीन है, जबकि PSW एक स्वतंत्र कानूनी इकाई है जिसमें ज़्यादातर कस्टम अधिकारी शामिल होते हैं.

PSW डेटा देश के सभी आयात एंट्री को कवर करता है, जिसमें व्यापार सुविधा योजनाओं से संबंधित एंट्री भी शामिल हैं. इसके विपरीत, PRAL के डेटासेट में कच्चे माल के साथ ही अन्य कई श्रेणियाँ शामिल नहीं हैं. 11 अरब डॉलर से जुड़ा यह हेरफेर तब सामने आया जब अधिकारियों ने पाकिस्तानी आयातकों और चीनी निर्यातकों द्वारा बताए गए व्यापार आँकड़ों की जाँच शुरू की.

PM शहबाज़ का रुख़

IMF की सख़्ती से पाकिस्तान सरकार भी चिंतित है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने यहाँ तक कहा है कि उनकी सरकार IMF पर निर्भरता ख़त्म करने के लिए क़दम बढ़ा रही है. उन्होंने मलेशियाई प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम के साथ एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोलते हुए कहा कि इसके लिए मलेशिया के साथ आर्थिक सहयोग बढ़ाया जाएगा और पाकिस्तान मलेशिया की साझेदारी के साथ IMF को हमेशा के लिए ‘टाटा’ बोलने की तैयारी में है.

कमियों की जाँच के लिए कमेटी गठित

प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने इस पूरे मामले को लेकर कमियों की जाँच के लिए आनन-फ़ानन में एक कमेटी गठित की है. वहीं, पिछले पाँच साल के आँकड़ों की समीक्षा करने पर यह भी पता चला है कि PBS, PRAL से व्यापार आँकड़े प्राप्त करने के लिए एक पुराना क्वेरी सिस्टम इस्तेमाल कर रहा था, जिससे वर्षों से कम रिपोर्टिंग की शिकायतें जारी थीं.

सबसे अधिक कमियाँ कपड़ा क्षेत्र में देखने को मिलीं, जहाँ लगभग 3 अरब डॉलर के आयात आधिकारिक आँकड़ों से ग़ायब थे. वित्त वर्ष 2023-24 में मेटल के आयात को भी लगभग 1 अरब डॉलर कम बताया गया. IMF द्वारा पारदर्शिता के आह्वान के बावजूद, अधिकारी सुधारों को सार्वजनिक करने में हिचकिचा रहे थे, क्योंकि उन्हें डर था कि संशोधित आँकड़े शुद्ध निर्यात गणनाओं और आर्थिक विकास के अनुमानों को प्रभावित कर सकते हैं.

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