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लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता और संघवाद की रक्षा करें : ममता बनर्जी

नई दिल्ली (एजेंसी)। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को कहा कि जब देश में लोकतंत्र खतरे में हो, धर्मनिरपेक्षता पर संकट मंडरा रहा हो और संघवाद को कमजोर किया जा रहा हो, तो नागरिकों को भारत के संविधान द्वारा दिए गए अमूल्य सिद्धांतों का संरक्षण करना चाहिए।

संविधान दिवस के अवसर पर, बनर्जी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में भारत के महान संविधान और राष्ट्र को एकसूत्र में बांधने वाले इस दस्तावेज के प्रति गहरा सम्मान व्यक्त किया। उन्होंने संविधान के दूरदर्शी शिल्पकारों, विशेष रूप से इसके मुख्य वास्तुकार डॉ. बी.आर. अम्बेडकर को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने संविधान निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले बंगाल के सदस्यों को भी याद किया।

मुख्यमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि “हमारा संविधान राष्ट्र की रीढ़ है,” जो भारत की संस्कृतियों, भाषाओं और समुदायों की विशाल विविधता को एक एकीकृत, संघीय ढांचे में कुशलतापूर्वक गूंथता है।

उन्होंने कहा, “इस पावन दिवस पर, हम अपने संविधान में अंतर्निहित मूल लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुन: पुष्टि करते हैं। हम उन पवित्र सिद्धांतों की सतर्कतापूर्वक रक्षा करने का संकल्प लेते हैं जो हमें एक राष्ट्र के रूप में परिभाषित करते हैं और कायम रखते हैं।”

बनर्जी ने आगे कहा कि ऐसे महत्वपूर्ण मोड़ पर, जब लोकतंत्र दांव पर है, धर्मनिरपेक्षता खतरे में है, और संघवाद को ध्वस्त किया जा रहा है, हमें संविधान द्वारा प्रदान किए गए मूल्यवान मार्गदर्शन की रक्षा करनी चाहिए।

भारत में हर साल 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाया जाता है। इसी दिन, वर्ष 1949 में संविधान सभा द्वारा संविधान को अंगीकार किया गया था। संविधान के कुछ भाग तुरंत लागू हुए, जबकि शेष प्रावधान भारत के गणतंत्र बनने पर 26 जनवरी, 1950 को लागू हुए थे।

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