धर्म कर्म

शारदीय नवरात्रि : पंचमी तिथि, शुभ मुहूर्त और स्कंदमाता की पूजा

न्युज डेस्क (एजेंसी)। इस साल की शारदीय नवरात्रि में पंचमी तिथि को लेकर कुछ संशय की स्थिति बन रही है। पंचांग के अनुसार, इस बार चतुर्थी तिथि का समय दो दिनों तक रहने के कारण ऐसा हो रहा है।

प्रसिद्ध पंडित राजेश पुरोहित के अनुसार, शारदीय नवरात्रि की पंचमी तिथि इस बार 27 सितंबर, शनिवार को मनाई जाएगी। इस शुभ दिन पर देवी स्कंदमाता की आराधना की जाएगी। इस दिन कई शुभ योगों का निर्माण भी हो रहा है, जिससे इस तिथि का धार्मिक महत्व और भी बढ़ जाता है।

आइए जानते हैं देवी स्कंदमाता की पूजा की संपूर्ण विधि, मंत्र, आरती और उनका महत्व।

27 सितंबर 2025: पंचमी तिथि के शुभ मुहूर्त

देवी स्कंदमाता की पूजा के लिए 27 सितंबर 2025 (शनिवार) को निम्नलिखित शुभ मुहूर्त रहेंगे:

प्रातः काल: सुबह 07:50 बजे से 09:19 बजे तक

मध्याह्न काल: दोपहर 12:17 बजे से 01:46 बजे तक

विशेष मुहूर्त (अभिजीत): दोपहर 11:54 बजे से 12:41 बजे तक

अपराह्न काल: दोपहर 03:16 बजे से 04:45 बजे तक

देवी स्कंदमाता की पूजा विधि

27 सितंबर, शनिवार के दिन, देवी स्कंदमाता की पूजा इस विधि से करनी चाहिए:

तैयारी: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद व्रत और पूजा करने का संकल्प लें।

स्थान शुद्धि: घर में जहाँ पूजा करनी है, उस स्थान को अच्छी तरह से साफ करें। स्थान की पवित्रता के लिए गौमूत्र छिड़कें।

स्थापना: शुद्ध किए गए स्थान पर एक लकड़ी का पटिया (चौकी) रखें और उस पर लाल रंग का वस्त्र बिछाएँ। इस पर देवी स्कंदमाता की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।

अर्घ्य और साज-सज्जा: देवी को फूलों की माला पहनाएँ। कुमकुम से तिलक करें और शुद्ध घी का दीपक प्रज्वलित करें। इसके अतिरिक्त, अबीर, गुलाल, सिंदूर, मेहंदी और हल्दी जैसी पूजन सामग्री एक-एक करके अर्पित करें।

भोग: स्कंदमाता को केले का भोग लगाना विशेष रूप से शुभ माना जाता है।

मंत्र जाप और आरती: भोग लगाने के बाद, नीचे लिखे मंत्र का जाप करें और अंत में माँ की आरती करें।

स्कंदमाता का मंत्र

या देवी सर्वभूतेषु स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

माँ स्कंदमाता की आरती

नाम तुम्हारा आता, सब के मन की जानन हारी।

जग जननी सब की महतारी।।

तेरी ज्योत जलाता रहूं मैं, हरदम तुम्हें ध्याता रहूं मैं।

कई नामों से तुझे पुकारा, मुझे एक है तेरा सहारा।।

कहीं पहाड़ों पर है डेरा, कई शहरो मैं तेरा बसेरा।

हर मंदिर में तेरे नजारे, गुण गाए तेरे भगत प्यारे।

भक्ति अपनी मुझे दिला दो, शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो

इंद्र आदि देवता मिल सारे, करे पुकार तुम्हारे द्वारे

दुष्ट दैत्य जब चढ़ कर आए, तुम ही खंडा हाथ उठाए

दास को सदा बचाने आई, चमन की आस पुराने आई।

Show More

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button