सिंहस्थ : 2028 के विकास कार्यों के लिए सभी का मिल रहा है समर्थन : मुख्यमंत्री डॉ. यादव

भोपाल (एजेंसी)। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि सिंहस्थ 2028 के लिए हो रहे विकास कार्यों को सभी का समर्थन मिल रहा है। विकास की प्रक्रिया को जारी रखना सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकता है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार लैंड पूलिंग सहित सभी विकास कार्यों को सभी के हितों को ध्यान में रखते हुए और सब से बात करके आगे बढ़ा रही है।
कुशाभाऊ ठाकरे सभागार में मीडिया से बात करते हुए, मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रयागराज महाकुंभ के सफल आयोजन में केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने स्थायी ढांचों के विकास पर जोर दिया था, जिससे धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिला। इसी तरह, उज्जैन में भी सिंहस्थ 2028 के लिए स्थायी निर्माण के संबंध में किसानों से बातचीत चल रही है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि सरकार किसी को नाराज़ नहीं करना चाहती और सबको साथ लेकर चलने के लिए प्रतिबद्ध है।
उज्जैन के लिए गौरव का विषय
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बताया कि 2028 में उज्जैन में अब तक के सबसे बड़े सिंहस्थ मेले का आयोजन होने जा रहा है। महाकाल लोक बनने के बाद उज्जैन की अर्थव्यवस्था में काफी सुधार हुआ है। सिंहस्थ से उज्जैन का आध्यात्मिक नगरी के रूप में विकास होगा और पर्यटन को और भी बढ़ावा मिलेगा। अनुमान है कि इस आयोजन में 30 करोड़ श्रद्धालु शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार सिंहस्थ 2028 का आयोजन आस्था, गरिमा और भव्यता के साथ करने के लिए पूरी तरह से तैयार है। यह आयोजन उज्जैन और पूरे प्रदेश के लिए बहुत गर्व की बात है।
किसानों का सहयोग और स्थायी निर्माण
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार का कर्तव्य है कि सिंहस्थ के दौरान लाखों साधु-संतों और करोड़ों श्रद्धालुओं को अच्छी सुविधाएँ मिलें। पिछले आयोजनों के अनुभवों को देखते हुए ऐसी अधोसंरचना बनाना ज़रूरी है जो बारिश या आँधी जैसी स्थितियों में भी खराब न हो। इस बड़े आयोजन के लिए हज़ारों एकड़ ज़मीन की ज़रूरत होगी।
उन्होंने बताया कि सिंहस्थ के पिछले आयोजनों में भी स्थानीय किसानों ने सरकार का हमेशा साथ दिया है। सिंहस्थ 2016 के दौरान लगभग 650 करोड़ रुपये की लागत से 3000 हेक्टेयर ज़मीन पर अस्थायी निर्माण किए गए थे, जिन्हें आयोजन के बाद हटा दिया गया था।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सिंहस्थ 2028 के लिए उज्जैन को ‘ग्लोबल स्पिरिचुअल सिटी’ के रूप में विकसित करने की योजना है। इसके लिए किसानों के हितों को प्राथमिकता देते हुए और उनकी सहमति से अस्थायी की जगह स्थायी संरचनाओं का निर्माण किया जाएगा।
















