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नागरिकों के फ़ोन पर निगरानी ग़लत : प्रियंका गांधी, साइबर सुरक्षा ज़रूरी

नई दिल्ली (एजेंसी)। संसद के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन, मंगलवार को नए मोबाइल फोन में दूरसंचार विभाग द्वारा ‘संचार साथी’ ऐप को अनिवार्य रूप से प्री-इंस्टॉल करने को लेकर विवाद गहराया रहा। कांग्रेस महासचिव और सांसद प्रियंका गांधी ने इस ऐप को ‘जासूसी ऐप’ बताते हुए इसका कड़ा विरोध किया।

निजता का अधिकार और सरकारी निगरानी

संसद परिसर में पत्रकारों से बातचीत के दौरान, प्रियंका गांधी ने इस ऐप के माध्यम से केंद्र सरकार पर नागरिकों की निजता के उल्लंघन का आरोप लगाया।

उन्होंने कहा, “यह एक जासूसी ऐप है। मैं यही कहना चाहती हूँ कि अब वे और क्या जानना चाहते हैं? नागरिकों को निजता का अधिकार है। सभी को यह अधिकार है कि वे सरकार की निगरानी के बिना अपने संदेश अपने परिवार और दोस्तों को भेज सकें। यह एक सामान्य बात है।”

उन्होंने सरकार पर देश को तानाशाही की तरफ धकेलने का आरोप लगाते हुए आगे कहा, “भारत का हर नागरिक अपने फ़ोन पर क्या कर रहा है? इस तरह से काम नहीं होना चाहिए।” उन्होंने यह भी कहा कि धोखाधड़ी की रिपोर्ट करने के लिए एक प्रभावी प्रणाली होनी चाहिए।

साइबर सुरक्षा बनाम नागरिकों की निजता

प्रियंका गांधी ने इस बात पर ज़ोर दिया कि साइबर सुरक्षा पर व्यापक चर्चा हुई है और इसकी आवश्यकता भी है, “लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि यह आपको हर नागरिक के टेलीफ़ोन में झाँकने का बहाना दे।” उन्होंने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि कोई भी नागरिक इस कदम से खुश होगा।

संसद के कामकाज में गतिरोध

संसद सत्र के सही से न चल पाने के मुद्दे पर उन्होंने कहा, “संसद इसलिए काम नहीं कर रही है क्योंकि सरकार किसी भी विषय पर बात करने से इनकार कर रही है। विपक्ष पर इल्जाम लगाना बहुत आसान है। सरकार किसी भी चीज़ पर चर्चा नहीं होने दे रही है। एक स्वस्थ लोकतंत्र बहस और चर्चा की माँग करता है।”

मैसेजिंग ऐप्स से संबंधित नया सरकारी नियम

गौरतलब है कि भारत सरकार ने 29 नवंबर को एक महत्वपूर्ण नियम लागू किया है। इसके अनुसार, व्हाट्सएप, टेलीग्राम जैसे सभी मैसेजिंग ऐप्स को अब यूज़र के डिवाइस में सक्रिय सिम कार्ड से लगातार जुड़ा रहना होगा। इस निर्देश का पालन सभी प्लेटफॉर्म्स को 90 दिनों के भीतर करना होगा और 120 दिनों में एक विस्तृत अनुपालन रिपोर्ट भी जमा करनी होगी।

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