आज का हिन्दू पंचांग

आज का हिन्दू पंचांग
दिनांक – 07 जुलाई 2023
दिन – शुक्रवार
विक्रम संवत् – 2080
शक संवत् – 1945
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – वर्षा
मास – श्रावण (गुजरात, महाराष्ट्र में आषाढ़)
पक्ष – कृष्ण
तिथि – पंचमी रात्रि 12:17 तक तत्पश्चात षष्ठी
नक्षत्र – शतभिषा रात्रि 10:16 तक तत्पश्चात पूर्व भाद्रपद
योग – आयुष्मान रात्रि 08:30 तक तत्पश्चात सौभाग्य
राहु काल – सुबह 11:03 से दोपहर 12:45 तक
सूर्योदय – 06:00
सूर्यास्त – 07:29
दिशा शूल – पश्चिम दिशा में
ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 04:36 से 05:18 तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:24 से 01:06 तक
व्रत पर्व विवरण –
विशेष – पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
कर्णवेध संस्कार क्यों व कैसे ?
हिन्दू धर्म- संस्कारों में कर्णवेध (कान छेदना) संस्कार नौवाँ संस्कार है । बालकों व बालिकाओं की शारीरिक व्याधियों से रक्षा ही इस संस्कार का मूल उद्देश्य है ।
‘आयुर्वेद’ (सुश्रुत संहिता, चिकित्सा स्थान : १९.२४) के अनुसार कान छेदने से अंत्रवृद्धि (inguinal hernia) होने की सम्भावना नहीं रहती ।
यह मान्यता है कि कर्ण-छेदन करने से सूर्य की किरणें कानों के उन छिद्रों से प्रवेश पाकर सामने बालक-बालिका को तेज-सम्पन्न बनाती हैं । बालक के पहले दायें कान में और बाद में बायें कान में छेद करें तथा बालिका के पहले बायें कान में फिर दायें कान में छेद करें । बालिका के बायें नथुने में भी छेद करके आभूषण पहनाने का विधान है ।
मस्तिष्क के दोनों भागों को विद्युत के प्रभावों से प्रभावशाली बनाने के लिए नाक और कानों में सोना पहनना लाभकारी माना गया है ।
वर्षा ऋतु में विशेष लाभदायी
पेट के व अन्य विकारों में लाभकारी अजवायन
अजवायन उष्ण, तीक्ष्ण, जठराग्निवर्धक, उत्तम वायु कफनाशक, आमपाचक व पित्तवर्धक है । वर्षा ऋतु (२१ जून से २३ अगस्त) में होनेवाले पेट के विकारों, जोड़ों के दर्द, कृमि- रोग तथा कफजन्य विकारों में अजवायन खूब लाभदायी है ।
औषधीय प्रयोग
भोजन से आधे घंटे पहले अजवायन में थोड़ा-सा काला नमक मिलाकर गुनगुने पानी के साथ लेने से मंदाग्नि, अजीर्ण, अफरा (gas), पेट के दर्द एवं अम्लपित्त (hyperacidity) में राहत मिलती है ।
भोजन के पहले कौर के साथ अजवायन खाने से जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है ।
अजवायन और तिल समभाग मिलाकर दिन में १-२ बार खाने से अधिक मात्रा में व बार-बार पेशाब आने की समस्या में राहत मिलती है ।
अजवायन और एक लौंग का चूर्ण शहद मिलाकर चाटने से उलटी में लाभ होता है ।
१५ से ३० दिनों तक भोजन के बाद या बीच में गुनगुने पानी के साथ अजवायन लेने से मासिक धर्म के समय होनेवाली पीड़ा में राहत मिलती है । (यदि मासिक अधिक आता हो, गर्मी अधिक हो तो उक्त प्रयोग न करें । सुबह खाली पेट २ से ४ गिलास पानी पीने से अनियमित मासिक स्राव में लाभ होता है ।)
उपरोक्त सभी प्रयोगों में अजवायन की सेवन मात्रा: आधा से २ ग्राम ।
अजवायन का तेल
लाभ: अजवायन के तेल की मालिश संधिवात (arthritis) और गठिया में खूब लाभदायी है ।
तेल बनाने की विधि : २५० मि.ली. तिल के तेल को गरम करके नीचे उतार लें । इसमें १५ से २० ग्राम अजवायन डालकर कुछ देर ढक के रखें फिर छान लें । अजवायन का तेल तैयार ! इससे दिन में २ बार मालिश करें ।
सावधानी : ग्रीष्म व शरद ऋतु में तथा पित्त प्रकृति वालों को अजवायन का उपयोग अत्यल्प मात्रा में करना चाहिए ।