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वैश्विक शांति के लिए सबसे बड़ी चुनौती है आतंकवाद : विदेश मंत्री जयशंकर

नई दिल्ली (एजेंसी)। भारत के विदेश मंत्री डॉक्टर एस जयशंकर ने वैश्विक शांति के लिए आतंकवाद को एक बहुत बड़ा खतरा बताया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया है कि आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले प्रायोजकों, वित्तपोषकों की तलाश कर उन्हें सख्त सजा देना बेहद जरूरी है। विदेश मंत्री ने इस दौरान प्रत्यक्ष रूप से पाकिस्तान पर कटाक्ष किया।

‘आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद जैसे दानवों के खिलाफ मिलकर लड़ेंगे’

कजाखस्तान के अस्ताना में हाल की में एक साक्षात्कार के दौरान डॉ. एस जयशंकर ने ये बातें कहीं थीं। डॉ. जयशकंर ने जोर देते हुए कहा, ‘तीन दानवों (आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद) के खिलाफ लड़ने की बेहद आवश्यकता है।’ दरअसल, चार जुलाई को अस्ताना में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) का शिखर सम्मेलन आयोजित करवाया गया था। इस दौरान जयशंकर ने भारतीय प्रतिनिधि मंडल का प्रतिनिधित्व किया था। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इस एससीओ शिखर सम्मेलन में भाग लिया था।  

‘वैश्विक शांति के लिए सबसे बड़ी चुनौती है आतंकवाद’

डॉक्टर एस जयशकंर ने कहा, ‘इस बात में कोई शक नहीं है कि आतंकवाद आज विश्व के लिए सबसे प्रमुख चुनौती बन गया है। यह वैश्विक और राष्ट्रीय शांति के लिए एक खतरा बन गया है। हम सभी को आतंकवाद के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए। आतंकवाद से लड़ने के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण की जरूरत है। सिर्फ आतंकवाद को तैयार करने वाले लोग ही नहीं बल्कि इसके मददकर्ताओं, वित्तपोषकों और प्रायोजकों के खिलाफ संयुक्त कार्रवाई होनी चाहिए। इन सभी का पता लगाकर सख्त से सख्त सजा देने की जरूरत है।’

आतंकवाद के खिलाफ मजबूत कार्रवाई पर जोर

विदेश मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि उन्हें पूर्ण रूप से भरोसा है कि क्षेत्रीय आतंकवाद विरोधी संरंचना (आरएटीएस) की मदद से एससीओ द्वारा आतंकवाद के खिलाफ मजबूत कार्रवाई की जा सकती है। डॉ. एस जयशकंर ने कहा कि अस्ताना में हुए शिखर सम्मेलन में आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद के खिलाफ संयुक्त कार्रवाई पर चर्चा की गई और इस बात से वे बहुत खुश हैं। विदेश मंत्री ने कहा कि पिछले वर्ष दिल्ली में एससीओ शिखर सम्मेलन हुआ था। उस दौरान आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद को बढ़ावा देने वाले कट्टरपंथ से संयुक्त रूप से मुकाबले पर जोर दिया गया था। विदेश मंत्री ने आगे कहा कि कजाखस्तान में भी शिखर सम्मेलन के दौरान इस प्रतिबद्धता के उद्देश्य को आगे बढ़ाया गया है।

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