क्रेडिट स्कोर अपडेट की नई व्यवस्था : आरबीआई का महत्वपूर्ण मसौदा

न्युज डेस्क (एजेंसी)। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने देश की ऋण प्रणाली (Credit System) को और सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मसौदा जारी किया है। इस प्रस्ताव के लागू होने के बाद, बैंकों और वित्तीय संस्थाओं को अब अपने ग्राहकों के क्रेडिट डेटा को क्रेडिट ब्यूरो (जैसे CIBIL, Experian, Equifax, CRIF High Mark) को हर सप्ताह रिपोर्ट करना होगा। अभी तक यह रिपोर्टिंग आम तौर पर पाक्षिक (हर दो सप्ताह में) या मासिक आधार पर की जाती थी।
क्यों हो रहा है यह बदलाव?
इस कदम का मुख्य उद्देश्य क्रेडिट संबंधी जानकारी को अधिक पारदर्शी, सटीक और अप-टू-डेट बनाना है। समय पर अपडेट होने से उधारकर्ताओं की वित्तीय स्थिति का आकलन बेहतर तरीके से हो पाएगा।
साप्ताहिक डेटा रिपोर्टिंग के नियम
मसौदा दिशा-निर्देशों के अनुसार, ऋणदाता संस्थाओं को हर सप्ताह क्रेडिट ब्यूरो को डेटा उपलब्ध कराना होगा। इसके लिए कुछ निश्चित तिथियाँ तय की गई हैं:
मासिक रिपोर्टिंग तिथियाँ: हर महीने की 7, 14, 21, 28 तारीख और माह के अंतिम दिन का डेटा क्रेडिट ब्यूरो को भेजना अनिवार्य होगा।
इस साप्ताहिक संशोधन में ग्राहकों के भुगतान व्यवहार, नए ऋण, क्रेडिट कार्ड का उपयोग, बकाया राशि और खाता बंद होने जैसी सभी महत्वपूर्ण जानकारी लगातार अपडेट होती रहेगी।
उदाहरण: यदि किसी ग्राहक ने सप्ताह के दौरान अपनी मासिक किस्त या क्रेडिट कार्ड का बिल चुकाया है, तो वह बदलाव उसी सप्ताह क्रेडिट ब्यूरो को रिपोर्ट कर दिया जाएगा।
कब से लागू होगा नया सिस्टम?
आरबीआई ने प्रस्तावित किया है कि नई साप्ताहिक रिपोर्टिंग प्रणाली 1 अप्रैल 2026 से लागू की जाए। यह तभी संभव होगा जब सभी बैंक और वित्तीय संस्थान तकनीकी रूप से तैयार हों और अपने सिस्टम को साप्ताहिक आवृत्ति (Weekly Frequency) के अनुरूप अपग्रेड कर लें।
ग्राहकों और ऋणदाताओं को क्या लाभ होगा?
उपभोक्ताओं को लाभ
स्कोर में तेजी से सुधार: लोन की ईएमआई या क्रेडिट कार्ड बिल का भुगतान करते ही इसका सकारात्मक असर अब जल्दी क्रेडिट स्कोर पर दिखेगा।
तेज लोन स्वीकृति: क्रेडिट प्रोफाइल तेजी से मजबूत होने से नए ऋण या क्रेडिट कार्ड की मंजूरी कम समय में मिल सकेगी।
गलती सुधारना आसान: किसी भी गलत या अधूरी क्रेडिट जानकारी को समय रहते पहचानना और उसे सुधारना आसान हो जाएगा।
बैंकों और वित्तीय संस्थानों को लाभ
विश्वसनीय डेटा: ऋणदाताओं को अब उधारकर्ताओं का अधिक ताजा और विश्वसनीय क्रेडिट डेटा मिलेगा।
बेहतर जोखिम आकलन: ग्राहक की वर्तमान वित्तीय स्थिति को तुरंत जानकर जोखिम का मूल्यांकन अधिक सटीक होगा।
घटेगा डिफॉल्ट: डेटा में देरी के कारण होने वाले गलत आकलन कम होंगे, जिससे कर्ज चूक (Default) की संभावना भी कम होगी।
क्रेडिट स्कोर क्या है और क्यों मायने रखता है?
क्रेडिट स्कोर तीन अंकों की एक संख्या है (आमतौर पर 300 से 900 के बीच) जो आपके पिछले ऋण लेने और चुकाने के इतिहास के आधार पर आपकी क्रेडिट योग्यता को दर्शाता है। बैंक और एनबीएफसी इसी स्कोर के आधार पर तय करते हैं कि आपको ऋण देना है या नहीं, और किस ब्याज दर पर।














