भारत की महान विरासत : संतों, ऋषियों और महापुरुषों का समर्पण : सीएम योगी

न्युज डेस्क (एजेंसी)। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह बात जोर देकर कही कि भारत की परंपरा संतों, ऋषि-मुनियों और महान विभूतियों के त्याग और बलिदान की एक महान गाथा है। यह गाथा सदियों से चली आ रही है और यह विश्व मानवता के लिए निरंतर प्रेरणा का स्रोत बनी हुई है। पूरी दुनिया ने इस गौरवशाली इतिहास को सुना है और इससे प्रेरणा लेकर अपने भविष्य की दिशा तय की है।
आज भी भारत में पवित्र उपासना पद्धतियाँ पूरी श्रद्धा के साथ कार्यरत हैं और इस व्यवस्था को पोषित कर रही हैं।
अयोध्या में सनातन वैभव
मुख्यमंत्री ने तीन दिन पहले अयोध्या में हुए एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि प्रभु श्रीराम के भव्य मंदिर के निर्माण कार्य को पूर्ण करने के महायज्ञ की पूर्णाहुति के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कर-कमलों द्वारा भव्य भगवा ध्वज का आरोहण किया गया। इस दौरान, पूरे देश और विश्व ने भारत के इस सनातन वैभव को प्रत्यक्ष रूप से अनुभव किया।
सीएम योगी आदित्यनाथ गुरुवार को मुरादनगर स्थित तरुण सागरम् तीर्थ पहुँचे। उन्होंने वहाँ पंचकल्याणक महामहोत्सव के तहत 100 दिनों में निर्मित गुफा मंदिर का लोकार्पण किया। इस अवसर पर उन्होंने भगवान पार्श्वनाथ जी और संत तरुण सागर जी महाराज का सादर स्मरण किया। इसके अतिरिक्त, उन्होंने ‘मेरी बिटिया’ और ‘अंतर्मना दिव्य मंगल पाठ’ नामक पुस्तकों का भी विमोचन किया।
जैन तीर्थंकरों की पावन भूमि
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह उत्तर प्रदेश का सौभाग्य है कि प्रथम जैन तीर्थंकर भगवान ऋषभ देव सहित चार जैन तीर्थंकरों का जन्म अयोध्या में हुआ। इसके अलावा, दुनिया ने काशी में भी चार जैन तीर्थंकरों के अवतरण को देखा है। श्रावस्ती में जैन तीर्थंकर भगवान संभवनाथ का जन्म हुआ था।
उन्होंने आगे बताया कि भगवान महावीर ने कुशीनगर के पावागढ़ में महापरिनिर्वाण प्राप्त किया था। हमारी सरकार ने उस क्षेत्र के वर्तमान नाम फाजिलनगर को पावा नगरी के रूप में नामकरण करने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया है।
जैन दर्शन और विश्व को संदेश
सीएम योगी ने बताया कि चौबीसों जैन तीर्थंकरों ने समाज को एक नई दिशा दी। उन्होंने करुणा, मैत्री, अहिंसा और ‘जियो और जीने दो’ के सिद्धांत से विश्व मानवता को प्रेरित किया। उनका यह संदेश न केवल मनुष्यों के लिए, बल्कि प्रत्येक जीव-जंतु के लिए था, और आज भी यह पूरी तरह प्रासंगिक बना हुआ है।
उन्होंने कहा कि यदि मानव सभ्यता को विकास की नई ऊँचाइयों तक पहुँचना है, तो उसे निश्चित रूप से भारत के अध्यात्म की शरण लेनी होगी। आध्यात्मिक उन्नति के साथ-साथ भौतिक विकास, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक उत्थान के लिए एक सुरक्षित, सुसभ्य और स्वच्छ वातावरण की आवश्यकता है। भारत ने यह वातावरण पहले भी दुनिया को प्रदान किया है, और ऋषि-मुनियों की परंपरा तथा भारतीय संस्कृति का संदेश आज भी विश्व मानवता के लिए यही है।
साधना और कल्याण का मार्ग
मुख्यमंत्री ने कहा कि ऋषि-मुनि परंपरा द्वारा दिए गए संदेशों को यदि हम अपने जीवन में उतारते हैं, तो यह विश्व मानवता के कल्याण का मार्ग खोलता है। उन्होंने स्मरण दिलाया कि पिछले वर्ष अप्रैल में प्रधानमंत्री मोदी ने विश्व नवकार महामंत्र दिवस पर ‘वन वर्ल्ड-वन चैन’ कार्यक्रम का उद्घाटन किया था और हम सभी को नौ संकल्प दिए थे। ये संकल्प थे: पानी की बचत, एक पेड़ माँ के नाम लगाना, स्वच्छता मिशन, लोकल उत्पादों को बढ़ावा (वोकल फॉर लोकल), देश-दर्शन, प्राकृतिक खेती, स्वस्थ जीवनशैली अपनाना, योग व खेल को जीवन में शामिल करना, और गरीब कल्याण के लिए समर्पित भाव से कार्य करना। उन्होंने कहा कि जैन मुनियों की परंपरा इसी दिशा में कार्य कर रही है।
उन्होंने आचार्य प्रसन्न सागर जी महाराज और उपाध्याय मुनि पीयूष सागर जी महाराज की कठोर दिनचर्या का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि 557 दिनों की कठोर साधना और 496 दिनों के निर्जल उपवास में तप, अनुशासन और आत्मसंयम का एक अद्भुत उदाहरण देखने को मिला। सीएम ने कहा कि यह दर्शाता है कि यदि मनुष्य दृढ़ संकल्प ले ले, तो जो कुछ भी बाहर दिखाई देता है, वह सब इस शरीर के भीतर भी अनुभव किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि प्रसन्न सागर जी महाराज की साधना के माध्यम से इसे देखने और अनुभव करने का अवसर प्राप्त हुआ है।















