ज्योतिष

आज का हिन्दू पंचांग

हिन्दू पंचांग 

दिनांक – 19 अगस्त 2023
विक्रम संवत् – 2080
शक संवत् – 1945
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – वर्षा
मास – श्रावण
पक्ष – शुक्ल
तिथि – तृतीया रात्रि 10:19 तक तत्पश्चात चतुर्थी
नक्षत्र – उत्तराफाल्गुनी रात्रि 01:47 तक तत्पश्चात हस्त
योग – सिद्ध रात्रि 09:19 तक तत्पश्चात साध्य
राहु काल – सुबह 09:30 से 11:07 तक
सूर्योदय – 06:17
सूर्यास्त – 07:09
दिशा शूल – पूर्व दिशा में
ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 04:48 से 05:33 तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:21 से 01:06 तक

व्रत पर्व विवरण – हरियाली तीज
विशेष – तृतीया को परवल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)

सीमन्तोन्नयन संस्कार क्यों ?

सोलह संस्कारों में तीसरा संस्कार होता है सीमन्तोन्नयन । इसका उद्देश्य गर्भपात रोकने के साथ-साथ गर्भस्थ शिशु व गर्भवती स्त्री की रक्षा करना तथा गर्भवती स्त्री को मानसिक बल प्रदान करते हुए उसके ह्रदय में प्रसन्नता, उल्लास और सांत्वना उत्पन्न हो और गर्भस्थ शिशु के मस्तिष्क आदि को बलवान बनाना है ।

यह संस्कार गर्भावस्था के चौथे, छठे या आठवें मास में किया जाता है क्योंकि ४ महीने के बाद गर्भस्थ शिशु के अंग – प्रत्यंग प्रकट हो जाते हैं और चेतना – संस्थान – ह्रदय के निर्माण हो जाने से गर्भ में चेतना का प्राकट्य हो जाता है, जिससे उसमें इच्छाओं का उदय होने लगता है । वे इच्छाएँ माता के ह्रदय में प्रतिबिब्मित होकर प्रगट होती है ।

सीमन्तोन्नयन संस्कार में गर्भस्थ बालक का पिता मंत्रोच्चारण करते हुए शास्त्रवर्णित वनस्पतियों द्वारा गर्भिणी पत्नी से सिर की माँग (सीमंत) निकालना आदि क्रियाएँ करते हुए यह वेद – मंत्र बोलता है :

ॐ येनादिते: सीमानं नयति प्रजाप्तिर्महते सौभगाय ।
तेनाहमस्यै सीमानं नयामि प्रजामस्यै जरदष्टिं कृणोमि ।।

जिस प्रकार प्रजापति ने देवमाता अदिति का सीमन्तोन्नयन किया था, उसी प्रकार इस गर्भिणी का सीमन्तोन्नयन करके इसकी संतान को मैं जरावस्था तक दीर्घजीवी करता हूँ ।

तत्पश्यात गर्भिणी को यज्ञावशिष्ट पर्याप्त घीयुक्त खिचड़ी खिलाने का विधान है । अंत में इस संस्कार के समय उपस्थित वृद्ध महिलाएँ गर्भिणी को सौभाग्यवती होने और उत्तम, स्वस्थ व भगवदभक्त संतानप्राप्ति के आशीर्वाद देती हैं ।

पाश्चात्य अन्धानुकरण में पडकर सीमन्तोन्नयन संस्कार के स्थान पर ‘बेबी शॉवर’ नामक पार्टी करके केवल बाह्य मौज-मजा में न कपं बल्कि सनातन संस्कृति के अनुसार शिशु को दिव्य संस्कारों से संस्कारित करें ।

इस समय गर्भस्थ शिशु शिक्षण के योग्य हो जाता है । अत: आचरण – व्यवहार, चिंतन-मनन शास्त्रानुकूल हो इस बात का गर्भिणी को विशेष ध्यान रखना चाहिए । उसे सत्शात्रों, ब्रह्मवेत्ता महापुरुषों के जीवन-प्रसंगो व उपदेशों पर आधारित सत्साहित्य का अध्ययन करना चाहिए । सत्संग-श्रवण, ध्यान, जप आदि नियमित करना चाहिए । घर में ब्रह्मवेत्ता महापुरुषों के श्रीचित्र अवश्य हों, अश्लील व भयावह तस्वीरें बिल्कुल न लगायें ।

हरियाली तीज – 19 अगस्त 2023

सावन मास के शुक्लपक्ष की तृतीया तिथि को महिलाएं शिव-पार्वती का विशेष पूजन करती हैं, वही हरियाली तीज कहा जाता है । इस दिन स्त्रियां माता पार्वती जी और भगवान शिव जी की पूजा करती हैं ।

इसे सबसे पहले गिरिराज हिमालय की पुत्री पार्वती ने किया था जिसके फलस्वरूप भगवान शंकर उन्हें पति के रूप में प्राप्त हुए ।

कुंवारी लड़कियां भी मनोवांछित वर की प्राप्ति के लिए इस दिन व्रत रखकर माता पार्वती की पूजा करती हैं ।

हरियाली तीज के दिन भगवान शिव ने देवी पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार करने का वरदान दिया ।

पार्वती के कहने पर शिव जी ने आशीर्वाद दिया कि जो भी कुंवारी कन्या इस व्रत को रखेगी उसके विवाह में आने वाली बाधाएं दूर होंगी ।

माता पार्वती जी का व्रत पूजन करने से धन, विवाह संतानादि भौतिक सुखों में वृद्धि होती है ।

विवाहित स्त्रियां अपने पति की दीर्घायु के लिए व्रत रखती हैं ।

 शनिवार के दिन विशेष प्रयोग 

शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष का दोनों हाथों से स्पर्श करते हुए ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का 108 बार जप करने से दुःख, कठिनाई एवं ग्रहदोषों का प्रभाव शांत हो जाता है । (ब्रह्म पुराण)

हर शनिवार को पीपल की जड़ में जल चढ़ाने और दीपक जलाने से अनेक प्रकार के कष्टों का निवारण होता है । (पद्म पुराण)

आर्थिक कष्ट निवारण हेतु

एक लोटे में जल, दूध, गुड़ और काले तिल मिलाकर हर शनिवार को पीपल के मूल में चढ़ाने तथा ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र जपते हुए पीपल की ७ बार परिक्रमा करने से आर्थिक कष्ट दूर होता है ।

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