आज का हिन्दू पंचांग

हिन्दू पंचांग
दिनांक – 06 नवम्बर 2023
दिन – सोमवार
विक्रम संवत् – 2080
शक संवत् – 1945
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – हेमंत
मास – कार्तिक
पक्ष – कृष्ण
तिथि – नवमी 07 नवम्बर प्रातः 05:50 तक तत्पश्चात दशमी
नक्षत्र – अश्लेषा दोपहर 01:24 तक तत्पश्चात मघा
योग – शुक्ल दोपहर 02:26 तक तत्पश्चात ब्रह्म
राहु काल – सुबह 08:11 से 09:35 तक
सूर्योदय – 06:47
सूर्यास्त – 05:59
दिशा शूल – पूर्व दिशा में
ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 05:05 से 05:56 तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 11:58 से 12:49 तक
व्रत पर्व विवरण –
विशेष – नवमी को लौकी खाना त्याज्य है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
उत्तम स्वास्थ्य हेतु निद्रा – संबंधी ध्यान देने योग्य जरूरी बातें
क्या करें
१] आयु –आरोग्य संवर्धन हेतु उचित समय पर, उचित मात्रा में नींद लेना जरूरी है ।
२] रात को ढीले वस्त्र पहन के बायीं करवट सोयें ।
३] अनिद्रा हो तो सिर पर आँवला-भृंगराज केश तेल व शरीर पर तिल की एवं पैरों के तलवों पर घी की मालिश करें ।
४] सोने से पहले शास्त्राध्ययन या सत्संग श्रवण कर कुछ देर ॐकार का दीर्घ उच्चारण करें, फिर श्वासोच्छ्वास के साथ भगवन्नाम की गिनती करते हुए सोयें तो नींद भी उपासना हो जायेगी ।
क्या न करें
१] हाथ-पैर सिकोड़कर, पैरों के पंजो की आँटी (क्रॉस) करके, सिर के पीछे या ऊपर हाथ रखकर तथा पेट के बल नहीं सोना चाहिए ।
२] रात को पैर गीले रख के नही सोना चाहिए ।
३] देर रात तक जागरण से शरीर में धातुओं का शोषण होता हैं व शरीर दुर्बल होता है ।
४] दिन में शयन करने से शरीर में बल का क्षय हो जाता है । स्थूल, कफ प्रकृतिवाले व कफजन्य व्याधियों से पीड़ित व्यक्तियों को सभी ऋतुओं में दिन की निद्रा अत्यंत हानिकारक है ।
आँवला – भृंगराज केश तेल संत श्री आशारामजी आश्रम व समिति के सेवाकेन्द्रों पर उपलब्ध है ।
आत्म सुख में बाधक पांच बातें
नारायण हरिभजन में ये पाँचों न सुहात ।
विषय भोग निद्रा हँसी जगत प्रीत बहु बात ॥
आत्मरस पाने में परमात्मा के भजन में, परमात्मा के खजाने को पाने में ये पाँच बातें विघ्न करती है ।
(१) विषय भोग की इच्छा
(२) आलस्य निद्रा
(३) बेकार का हँसी-विनोद : हँसी हो तो हरि-तत्त्व की हो, आत्मपरक बात की हो। ये जो पान के गल्ले (दुकान) पर हँसी-मजाक करके अपने को सुखी मान लेते हैं, उसमें से तो झगड़े भी पैदा हो जाते हैं, अज्ञान बढ़ जाता है। इस प्रकार की जो हँसी है वह परमात्म-रस में बाधा डालती है ।
(४) जगत के पदार्थों की प्रीति, जगत के पदार्थों का, जगत का चिंतन ।
(५) अधिक बोलना ।
ये पाँचों बातें शक्ति क्षीण कर देती हैं ये आत्मज्ञान के रास्ते में, हरि भजन में विघ्न हैं ।
कार्यों में सफलता-प्राप्ति हेतु
जो व्यक्ति बार-बार प्रयत्नों के बावजूद सफलता प्राप्त न कर पा रहा हो अथवा सफलता-प्राप्ति के प्रति पूर्णतया निराश हो चुका हो, उसे प्रत्येक सोमवार को पीपल वृक्ष के नीचे सायंकाल के समय एक दीपक जला के उस वृक्ष की ५ परिक्रमा करनी चाहिए । इस प्रयोग को कुछ ही दिनों तक सम्पन्न करनेवाले को उसके कार्यों में धीरे-धीरे सफलता प्राप्त होने लगती है ।
सोमवार को बाल कटवाने से शिवभक्ति की हानि होती है ।
सोमवार को तथा दोपहर के बाद बिल्वपत्र न तोड़ें ।