राज्योत्सव में बॉलीवुड गायक आदित्य नारायण और छत्तीसगढ़ के कलाकारों का अद्भुत प्रदर्शन

संगीत की महफ़िल में लोक संस्कृति और आधुनिक धुनों का मनमोहक समागम
रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना की रजत जयंती के भव्य राज्योत्सव समारोह में बॉलीवुड के गीतों और छत्तीसगढ़ की लोककला, संगीत तथा नृत्य की एक रंगारंग शाम सजी, जिसने पूरे माहौल को सुरमई बना दिया। कार्यक्रम की सतरंगी छटा और मधुर गीतों से सजी महफ़िल में हर कोई गाते, गुनगुनाते और थिरकते नज़र आया।
शाम ढलने के साथ ही गीत-संगीत के इस कारवाँ में सबसे पहले छत्तीसगढ़ी सुर-ताल ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। प्रख्यात छत्तीसगढ़ी गायक श्री सुनील तिवारी और उनकी टीम ने लोकगीतों के स्वर से परंपरा और आधुनिकता के संगम वाली इस सांस्कृतिक संध्या में दर्शकों के दिलों पर एक गहरा छाप छोड़ा। इसके बाद, बॉलीवुड के मशहूर पार्श्व गायक आदित्य नारायण के गीतों ने श्रोताओं को भावविभोर कर दिया।
लोकगायक सुनील तिवारी ने बिखेरी छत्तीसगढ़ की मिट्टी की खुशबू
कार्यक्रम का आगाज़ लोकगायक सुनील तिवारी की प्रस्तुति से हुआ, जिन्हें राज्य अलंकरण चक्रधर कला सम्मान (2021) से सम्मानित किया जा चुका है। उन्होंने अपने मधुर लोकगायन से दर्शकों को बांधे रखा। जब उन्होंने “मोर भाखा के संग दया मया के सुघ्घर हवे मिलाप रे” और “अइसन छत्तीसगढ़िया भाखा कौनो संग” जैसे गीत गाए, तो पूरा दर्शक दीर्घा तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।
लोकगीतों की कड़ी में उन्होंने राऊत, राजगीत, ददरिया, सोहर, विवाह, पंथी और होली जैसे गीतों से छत्तीसगढ़ की माटी की महक बिखेर दी। उनके गीत “पता ले जा रे गाड़ी वाला…”, “अरपा पैरी के धार…” और “मोर संग चलव रे…” ने दर्शकों को लोकसंगीत की उस दुनिया में पहुंचा दिया जहाँ परंपरा, भावनाएँ और धरती एक हो जाते हैं। सामूहिक कर्मा नृत्य के माध्यम से गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज करा चुके श्री तिवारी ने अपनी प्रस्तुति से लोकगायन की गरिमा को एक नया आयाम दिया।
‘चिन्हारी – द गर्ल बैंड’ ने जोड़ी नई चमक
इसके बाद, जयश्री नायर और मेघा ताम्रकार के ‘चिन्हारी – द गर्ल बैंड’ ने मंच पर आकर अपने ऊर्जावान प्रदर्शन से राज्योत्सव में नई जान फूंक दी। उनकी गायकी में एक तरफ जहाँ लोकधुनों की आत्मा थी, वहीं संगीत संयोजन में आधुनिकता की झलक भी दिखाई दी। बैंड की प्रस्तुति ने यह संदेश दिया कि परंपरा और नवाचार का मेल ही आज की नई पहचान है। दर्शकों ने जोश भरी तालियों से उनका स्वागत किया।
आदित्य नारायण के गानों ने बनाया उल्लासपूर्ण माहौल
सांस्कृतिक संध्या में बॉलीवुड के जाने-माने गायक आदित्य नारायण ने मंच संभाला। उन्होंने श्रोताओं की जुबान पर चढ़े फेमस गाने – ‘पापा कहते हैं बड़ा नाम करेगा’, ‘पहला नशा.. पहला खुमार’, ‘बिन तेरे सनम’, ‘जो तुम न हो’, ‘अपना बना लो पिया’, ‘केशरिया इश्क है तेरा’, ‘वादा रहा सनम’, ‘ये काली-काली आँखे’, ‘कोई मिल गया, मेरा दिल गया’, ‘जाने जा’, और ‘मैं निकला गड्ड़ी लेके’ की प्रस्तुति देकर माहौल को उल्लास से भर दिया और खूब सराहना बटोरी।
उनकी संवाद शैली, भाव-भंगिमाएँ और जीवंत प्रदर्शन ने संगीत की गहराई को दर्शकों के सामने मूर्त रूप दिया।
पद्मश्री डोमार सिंह कंवर की ‘नाचा’ ने किया समारोह का समापन
कार्यक्रम के अंतिम चरण में पद्मश्री डोमार सिंह कंवर की नाचा प्रस्तुति ने राज्योत्सव में एक अलग ऊर्जा और उत्साह का वातावरण बना दिया। उनकी नाट्य शैली और ठेठ छत्तीसगढ़ी भावों से सजी प्रस्तुति ने दर्शकों को लोककला की गहराई से जोड़ा। नाचा की पारंपरिक झलक और लोक संस्कृति की जीवंतता ने राज्योत्सव के मंच को अविस्मरणीय बना दिया।
राज्योत्सव की यह संध्या छत्तीसगढ़ की समृद्ध लोकसंस्कृति, संगीत, कलात्मक वैभव और बॉलीवुड गीतों के आनंदमय मेल का गौरवपूर्ण उत्सव बन गई। उपस्थित दर्शकों ने हर प्रस्तुति पर तालियों से अपनी खुशी ज़ाहिर की। यह सांस्कृतिक संध्या न केवल एक कार्यक्रम थी, बल्कि छत्तीसगढ़ की 25 वर्षों की सांस्कृतिक यात्रा का एक जीवंत दस्तावेज़ बन गई, जहाँ हर गीत, हर नृत्य, और हर ताल में राज्य की समृद्ध कला और संस्कृति देखने को मिली।
















