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भारत के पहले निजी ऑर्बिटल रॉकेट ‘विक्रम-I’ का अनावरण : प्रधानमंत्री मोदी ने दिखाई हरी झंडी

नई दिल्ली (एजेंसी)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 27 नवंबर 2025 को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से भारत के पहले निजी तौर पर विकसित ऑर्बिटल रॉकेट, ‘विक्रम-I’ का वर्चुअल अनावरण किया। इस अत्याधुनिक रॉकेट को हैदराबाद स्थित स्पेस टेक्नोलॉजी स्टार्टअप स्काईरूट एयरोस्पेस ने तैयार किया है। इस ऐतिहासिक लॉन्च के साथ, भारत का निजी अंतरिक्ष क्षेत्र एक नए युग में प्रवेश कर गया है, जो आने वाले समय में देश की उपग्रह प्रक्षेपण क्षमता को अभूतपूर्व रूप से मजबूत करेगा।

विक्रम-I’ की विशेषताएँ और लक्ष्य

‘विक्रम-I’ एक उन्नत कक्षीय रॉकेट (ऑर्बिटल रॉकेट) है, जिसे विशेष रूप से छोटे और मध्यम श्रेणी के उपग्रहों को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसका निर्माण हल्के, तीव्र और ईंधन-कुशल (फ्यूल एफिशियंट) इंजीनियरिंग के साथ किया गया है, जो कम परिचालन लागत पर बेहतरीन प्रदर्शन सुनिश्चित करता है। स्काईरूट एयरोस्पेस का मानना है कि यह रॉकेट देश के निजी अंतरिक्ष उद्योग को एक निर्णायक दिशा देगा और भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों के लिए नींव का काम करेगा।

नए ‘इंफिनिटी कैंपस’ का उद्घाटन: निजी उत्पादन को मिलेगा बढ़ावा

‘विक्रम-I’ ऑर्बिटल रॉकेट का उत्पादन स्काईरूट एयरोस्पेस के बिल्कुल नए मुख्यालय – ‘इनफिनिटी कैंपस’ में किया जाएगा, जिसका उद्घाटन भी प्रधानमंत्री मोदी ने इसी कार्यक्रम के दौरान किया। यह अत्याधुनिक निर्माण सुविधा लगभग 2 लाख वर्ग फुट क्षेत्र में फैली हुई है। यह परिसर कई प्रक्षेपण यानों (लॉन्च व्हीकल) के डिज़ाइन, विकास, एकीकरण और परीक्षण के लिए पूरी तरह सुसज्जित है। इसकी क्षमता प्रति माह एक ऑर्बिटल रॉकेट बनाने की है, जिससे उत्पादन में तेजी आएगी और निजी अंतरिक्ष क्षेत्र की प्रगति को और गति मिलेगी।

निजी अंतरिक्ष क्षेत्र का बढ़ता प्रभाव

स्काईरूट एयरोस्पेस की स्थापना आईआईटी के पूर्व छात्रों और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो/ISRO) के पूर्व वैज्ञानिकों – पवन चंदना और भरत ढाका ने की थी। कंपनी ने 2022 में भारत के पहले निजी सब-ऑर्बिटल रॉकेट, ‘विक्रम-S’ का सफल प्रक्षेपण करके एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की थी। सरकार की अनुकूल नीतियों ने निजी क्षेत्र को बढ़ावा दिया है, जिसके परिणामस्वरूप देश का अंतरिक्ष इकोसिस्टम तेजी से विकसित हो रहा है। ‘विक्रम-I’ का अनावरण भारतीय अंतरिक्ष मिशनों में निजी कंपनियों की बढ़ती और महत्वपूर्ण भूमिका का स्पष्ट प्रमाण है।

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