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बिहार चुनाव : EVM की सुरक्षा के कड़े इंतजाम – क्या इसे बदलना संभव है?

नई दिल्ली (एजेंसी)। बिहार विधानसभा चुनाव के दोनों चरणों के मतदान के बाद, इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) और वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल की त्रि-स्तरीय निगरानी की व्यवस्था की गई। निगरानी के लिए कैमरे भी लगाए गए थे। हालांकि, कई मौकों पर कैमरों पर सवाल उठे तो कभी खाली बक्सों को लेकर यह आरोप लगाते हुए हंगामा हुआ कि EVM बदलने की कोई साजिश चल रही है।

आज चुनाव परिणाम आ रहा है। ऐसे में, आइए तकनीकी रूप से सबसे महत्वपूर्ण और सीधी जिम्मेदारी निभाने वाले पीठासीन अधिकारियों के दृष्टिकोण से समझते हैं कि क्या EVM को बदलना संभव है? यह सैद्धांतिक रूप से संभव हो सकता है, लेकिन इसके लिए किन जटिल प्रक्रियाओं से गुजरना होगा, यह जानना जरूरी है।

  1. नियुक्ति पत्र (Appointment Letter) पर छपा होता है EVM का नंबर

EVM को बदलने की कोशिश में सबसे पहले, पीठासीन अधिकारी और उनके साथ नियुक्त तीनों मतदान अधिकारियों को चुनाव कराने के लिए जारी किए गए नियुक्ति पत्र को दोबारा बनाना पड़ेगा। इस पत्र में अधिकारी का नाम, फोटो, पदनाम और उनके मूल कार्यालय का नाम छपा होता है।

सबसे महत्वपूर्ण बात: इसी नियुक्ति पत्र में EVM (कंट्रोल यूनिट), बैलेट यूनिट और VVPAT का यूनिक रैंडम नंबर भी छपा होता है, जिसमें पाँच-पाँच रोमन अक्षर और अंक होते हैं। मतगणना के दौरान इसी नंबर का मिलान किया जाता है। यदि EVM को बदलना है, तो चारों अधिकारियों के नियुक्ति पत्रों पर EVM के नए (बदले गए) नंबर को दर्ज करना होगा। क्या यह संभव है?

  1. छह लिफाफों में कागज़ात पर हस्तलिखित नंबर

नियुक्ति पत्र के साथ ही, पीठासीन अधिकारी को EVM और कई लिफाफे दिए जाते हैं। यह सभी सामग्री अर्द्धसैनिक बल की सुरक्षा में मतदान केंद्र पर मतदान से एक दिन पहले पहुँचती है। मतदान केंद्र पर, पीठासीन अधिकारी या उनके सहायक मतदान अधिकारियों की मदद से छह बड़े लिफाफों में रखे कई कागज़ातों पर EVM, बैलेट यूनिट और VVPAT का नंबर अपनी हैंडराइटिंग (हस्तलिपि) में भरते हैं।

इन चारों अधिकारियों के अलावा किसी अन्य की हैंडराइटिंग में यह नंबर भरा नहीं जा सकता है। अंत में, पीठासीन अधिकारी को सब कुछ जांचने के बाद हस्ताक्षर करना होता है। यदि कोई भी गलत जानकारी दर्ज होती है और उस पर पीठासीन अधिकारी के हस्ताक्षर हैं, तो मूल नौकरी से निलंबन या बर्खास्तगी की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। इसका मतलब है, EVM बदलने के लिए इन चारों सरकारी अधिकारियों की हैंडराइटिंग से सभी लिफाफों के अंदर और बाहर की जानकारी को नए सिरे से लिखना होगा। क्या यह संभव है?

  1. फॉर्म 17-ग पर हस्ताक्षर की अनिवार्यता

छह बड़े लिफाफों के अंदर कई छोटे लिफाफे होते हैं, जिनमें अलग-अलग प्रारूप (फॉर्म) होते हैं। इनमें सबसे अहम है फॉर्म 17-ग (Form 17-C)। इस फॉर्म में कंट्रोल यूनिट (EVM), मतदान यूनिट (BU) और VVPAT का सीरियल नंबर दर्ज होता है।

मतदान की सुबह, मॉक पोल (Mock Poll) के बाद और वास्तविक वोटिंग के समय उपस्थित सभी प्रत्याशियों के मतदान अभिकर्ता (Polling Agent) का हस्ताक्षर इस फॉर्म पर कराना पीठासीन अधिकारी के लिए अनिवार्य होता है। साथ ही, पीठासीन अधिकारी के भी हस्ताक्षर होते हैं। EVM बदलने के लिए, सभी सरकारी सेवारत अधिकारियों और सभी पोलिंग एजेंटों के हस्ताक्षर फॉर्म 17-ग पर नए सिरे से लेना होगा। क्या यह संभव है?

  1. सील और अन्य कागजात पर भी हस्ताक्षर

पीठासीन की डायरी, प्रतिवेदन (रिपोर्ट), एड्रेस टैग, और स्पेशल सील पर भी EVM का नंबर हाथ से लिखा जाता है। EVM को सील करने के लिए जिस ग्रीन पेपर सील का उपयोग किया जाता है, उस पर भी पीठासीन अधिकारी और प्रत्याशियों के पोलिंग एजेंट के हस्ताक्षर होते हैं। जहाँ चपड़े (लाख) से सील लगाई जाती है, वहाँ भी हस्ताक्षर करना होता है।

EVM बदलने के लिए, सरकारी अधिकारी और सभी पोलिंग एजेंटों के हस्ताक्षर इन सभी कागज़ातों और EVM पर लगी सील पर नए सिरे से कराना होगा। क्या यह संभव है?

  1. ड्यूटी के नियम भी कड़ी सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं

मतदान और मतगणना के लिए ड्यूटी अलग-अलग समय लगती है। आमतौर पर, एक अधिकारी की एक ही ड्यूटी लगती है। यदि किसी को दोनों बार ड्यूटी मिलती भी है, तो किसी भी हालत में एक ही विधानसभा क्षेत्र में मतदान और मतगणना की ड्यूटी नहीं लगाई जाती है।

जो अधिकारी मतदान के लिए ड्यूटी करते हैं, वे एक बार EVM जमा करने के बाद उसे दोबारा देख भी नहीं सकते, क्योंकि आगे की जिम्मेदारी किसी और अधिकारी की होती है। इन नियमों को तोड़ने पर भी नौकरी जाने का खतरा होता है। EVM त्रिस्तरीय सुरक्षा-व्यवस्था में रखी जाती हैं, इसलिए इतने सारे घेरों को पार करके EVM तक पहुँचना, मतदान कराने वाले पीठासीन अधिकारी के लिए भी संभव नहीं होता।

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