10 कॉलेजों में 400 से ज्यादा पद खाली, जोड़-तोड़ कर टाला जा रहा जीरो ईयर

रायपुर। राज्य में मेडिकल कालेजों की संख्या में इजाफा हो रहा है, लेकिन फैकल्टी पर ध्यान नहीं दिया जा रहा। जैसे तैसे कॉलेज खुल रहे हैं, पर पढ़ाने के लिए टीचर्स नहीं हैं। आंकड़े बताते हैं कि राज्य के मौजूदा दस मेडिकल कॉलेजों में पढ़ाई के लिए विभिन्न श्रेणियों के लिए 847 पद स्वीकृत तो हैं, पर इनमें से सिर्फ 437 पद ही भरे हैं यानी 400 से ज्यादा पद खाली हैं। हालात यह हैं कि मेडिकल कॉलेजों को जीरो ईयर से बचाने हर दफा जोड़ तोड़ और गुणा-भाग का सहारा लेना पड़ रहा है।
चिकित्सा महाविद्यालयों को मान्यता प्रदान करने के दौरान एनएमसी द्वारा आपत्ति दर्ज कराई जाती है। इस दौरान काफी जोड़-तोड़कर कालेजों के जीरो ईयर के खतरे को टाला जाता है, चिकित्सा शिक्षकों की कमी का स्थायी सामाधान नहीं किया जा रहा है। राज्य में चिकित्सा शिक्षकों के स्वीकृत और भरे पद के आंकड़ों पर गौर करे तो पता चलता है कि राज्य के ज्यादातर सरकारी मेडिकल कालेज आधी फैकल्टी के साथ संचालित हो रहे हैं। राज्य शासन के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश के मेडिकल कालेजों में प्राध्यापक के कुल 148 पद स्वीकृत हैं, इनमें से 84 पद ही भरे हुए हैं। सह प्राध्यापक के 274 पद हैं मगर काम करने वालों की संख्या 138 है। वैसे तो चिकित्सा महाविद्यालयों में सहायक प्राध्यापक के 425 पद है मगर शिक्षक देने वालों संख्या 215 है। यानी मेडिकल टीचर्स के 847 के पदों की तुलना में 437 यानी 50 फीसदी पद खाली पड़े हैं।
संविदा वाले नहीं हो पाए नियमित
चिकित्सा महाविद्यालयों में ऐसे चिकित्सकों की संख्या भी काफी अधिक है जिनकी संविदा सेवा नियमित होने के इंतजार में रिटायरमेंट के कगार पर पहुंच चुकी है। शासन द्वारा इन संविदा चिकित्सा शिक्षकों को रेगुलर करने के लिए किसी तरह की गंभीरता नहीं दिखाई जा रही है। संविदा भर्ती में बेहतर भविष्य का अभाव होने की वजह से भी छोटे स्तर पर होने वाली भर्ती के लिए पर्याप्त संख्या में उम्मीदवार नहीं पहुंच पाते।
हो जाएंगे 14 मेडिकल कॉलेज
हर जिले में एक मेडिकल कॉलेज के केंद्र सरकार की योजना के तहत राज्य में वर्तमान में दस मेडिकल कालेज संचालित हो रहे हैं। आने वाले दिनों में इनकी संख्या बढ़कर 14 होने की संभावना है। भविष्य में कबीरधाम, मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी, जांजगीर-चांपा एवं दंतेवाड़ा में नया चिकित्सा महाविद्यालय खोलने की तैयारी है। चार नए कॉलेज खुलने के बाद चिकित्सा शिक्षकों की कमी और बढ़ जाएगी क्योंकि कालेज की शुरूआत करने लिए नए पद सृजित करने की आवश्यकता भी होगी।
नहीं मिले डॉक्टर
कुछ महीने पहले शासकीय मेडिकल कॉलेज रायपुर में फैकल्टी की कमी को पूरा करने के लिए व्यापक स्तर पर संविदा भर्ती निकाली गई थी। आस थी कि रायपुर कॉलेजके क्रेज को देखते हुए बड़ी संख्या में उम्मीदवार इसके लिए आवेदन करेंगे। वास्तविकता इसके विपरीत निकली और डेढ़ सौ से ज्यादा में केवल डेढ़ दर्जन पर भी भर्ती हो पाई। कई पद तो ऐसे थे जिसके लिए एक भी आवेदक सामने नहीं आया।