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अंतागढ़ में मां देवनी डोकरी दाई कि पोराणिक मंदिर में गांदी राज (स्थापना) दिवस का आयोजन किया गया

अंतागढ़ -राजेश कुमार ब्यूरो चीफ
अंतागढ़ में मां देवनी डोकरी दाई कि पोराणिक मंदिर में गांदी राज (स्थापना) दिवस का आयोजन किया गया।
अंतागढ़- जिसमें कि आपको बंता दे कि आश-पास क्षेत्रों से भारी संख्याओं में (श्रद्धालु) जंन देशी-देवता से आशिर्वाद लेने पहुंचे थे, इसी दौरान बाहर से आए सभी देवी देवताओं को अंतागढ़ ,आमाबुंदीन दंतेश्वरी माता शितल मंदिर प्रांगण में आयोजित कार्यक्रम में रखा गया था उस के पश्चात यहां के अतथि नागरिकों एवं पुजारी,ज्ञायता, मांझी , पटेल ,चालाकी द्वारा अनेक क्षेत्रों से आए देवी-देवताओं का विधिः- विधान पूर्वक पूजा, अर्चना कर क्षेत्रों में अमन चैन खुशहाली कि कामनाएं करने हुए, दांई देवनी डोकरी मंदिर लेजा कर रखा गया था।उस के पश्चात पूजा, अर्चना कर के उनके लिए बनाए गए स्थान पर रखा गया था। जिसमें दो दिवसीय 25और 26-4-2023 को देवनी डोकरी दाई के राज स्थापना एवं जात्रा किया गया था    जिसमें बस्तर संभाग से लेकर अनेकों क्षेत्रों से आए देवी देवताओं का आगमन हुआ जिसमें कि मुख्य रूप से जगदलपुर से पाठ देव, और बड़ेडोंगर (आमगांव) से नंरसिह नाथ बाबा और आमगांव लिहागांव से बाबा पीलापाठ देव वह उरूदांबेडा आमगांव से पीला बाबू ,वही पर कोस़ोराय डोकरा बिनापाल, मां देवनी डोकरी दाई, अंतागढ़ (नयापारा)से चुंगा बाबा,व बाबा टोंगराज (पोडगांव) वही पर माडिया देव कुवे माडिया (कुंआ पानी)व बाबा कुंडल देव (कुंडाल)और अंतागढ़ परगंना जिमीदारीन,अंतागढ परगंना पंचमाता, अंतागढ़ परगंना मानकदाई, व बाबा पोडदगुमा टेमरूपानी यादी जगहों से आए देवी देवताओं का स्वागत व पूजा पाठ किया गया उस के पश्चात सभी बाहर से आए देवी देवताओं के लिए बनाए गए स्थान पर स्थान दिया गया था। जिसमें कि 25-4-2023की रात को जात्रा का आयोजन किया गया था। जिसमें आए देवी-देवता द्वारा नाच, गाने करते हुए दुसरे दिन वहीं पर रोचन का आयोजन किया गया था।उसी बीच पूर्व विधायक व सांसद विक्रम देव उसेंडी और राधेलाल नाग (नगर पंचायत अध्यक्ष) ने आ कर देवी, देवता का आशीर्वाद लेकर राज्य में खुशहाली औरअमन चैन की कामनाएं के लिए दुआएं मांगी गई और वही रोचन कार्य क्रम के बाद पहुंचे पूर्व विधायक मंतूराम पवार आ कर देवी-देवताओं से आशीर्वाद लिया और राज्य में खूशहाली की कामनाएं कि उसके पश्चात शाम को बाहर से आये सभी देवी देवताओं को कार्य क्रम आयोजन कर विदाई दी गई।

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