वरिष्ठ पत्रकार जवाहर नागदेव की बेबाक कलम ‘सीधे रस्ते की टेढ़ी चाल’ ‘झुकेगा नहीं साला’ सदस्यता पे लग गया ताला
सारे मोदी चोर क्यों होते हैं.. ऐसा कुछ कहकर किसी मोदी विधायक द्वारा मानहानि के मामले में राहुल गांधी ने अपनी दो साल की सजा के खिलाफ सेशन कोर्ट सूरत में अपील दाखिल की थी जिसे गुरूवार को तत्काल जज साहब ने खारिज कर दी। बिना किसी शक-शुबहे यानि बिना किसी किन्तु-परन्तु के कह दिया ‘डिसमिस’। अब राहुल हाईकोर्ट की शरण जाने की तैयारी कर रहे हैं।
ले डूबा एक कहावत है। ले डूबा का मतलब एक नया जंजाल खड़ा हो गया। न उनके अंदर ‘झुकेगा नहीं साला’ वाली फीलिंग आती न वे डटकर अड़ जाते।
चाटूकारों ने भ्रमित कर दिया
लगता है
आराम से साॅरी बोल देते। साॅरी बोलने में तो कोई कष्ट नहीं होता बल्कि इंसान को स्मार्ट अंग्रेज होने का, आम आदमी से कुछ उपर होने का अहसास होता है। स्मार्ट आदमी ही साॅरी बोलकर बड़ा बन जाता है। तो वही उन्हें भी करना था। और नही ंतो थोड़ा मुस्कुरा कर बोल देते। पहले भी कई बार उन्होंने ऐसा बड़प्पन दिखाया है।
आमतौर पर उनका ऐसा व्यवहार रहा है कि पहले मान-सम्मान को ठेल दिया। पूरे देश में किसी की पगड़ी उछाल दी, फिर सामने वाले ने धैर्यपूर्वक लड़ाई लड़ी तो कोर्ट में माफी मांग ली। याने बदनाम भी कर दिया और गलत साबित होने पर अपना नुकसान भी नहीं हुआ। इसे कहते हैं सांप भी मर गया और लाठी भी नहीं टूटी।
पर यहां तो उल्टा हो गया। सांप भाग गया और लाठी भी टूट गयी। यानि सामने वाले को कोई नुकसान भी नहीं हुआ और अपनी सदस्यता-स्वतंत्रता चली गयी…
न निगल पा रहे
न उगल
थोड़े से हताश, थोड़े से निराश राहुल गांधी लोअर कोर्ट से सजा सुनकर दिखे लेकिन उनके चाहने वालों ने उन्हें चने के झाड़ पर चढ़ा दिया और उनका टूटा हौसला फिर से वापस आ गया। उन्होंने खुले आम घोषणा कर दी कि ‘वे माफी नहीं मांगेंगे, वे गांधी हैं सावरकर नहीं’। और बड़ा ताव खाकर उन्होंने कानूनी प्रक्रिया प्रारंभ की यानि सेशन कोर्ट में अपील की। यहां भी उन्हें सफलता नहीं मिली है। अपील खारिज हो गयी है।
——————————
जवाहर नागदेव, वरिष्ठ पत्रकार, लेखक, चिन्तक, विश्लेषक
mo 9522170700