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ट्रस्ट विवाद: जेल से बाहर आने के बाद बोले बीजेपी नेता – मंदिर ट्रस्ट की जमीन को लेकर आवाज उगाने पर फंसाया गया

– ट्रस्ट की 107 एकड़ जमीन चार लोगों ने अपने नाम करा ली ?

जेल से बाहर आने के बाद प्रज्ञेश तिवारी ने प्रेस कांफ्रेंस ली। पत्रकारों से चर्चा के दौरान उन्होंने बताया कि गौर कापा मंदिर ट्रस्ट की जमीन के मामले को उठाने पर उन्हें फंस गया है ।

कवर्धा – धार्मिक उन्माद फैलाने के मामले में बीजेपी नेता व पंडरिया के पूर्व जनपद उपाध्यक्ष प्रज्ञेश तिवारी को जमानत मिल गई है। जेल से बाहर आने के बाद प्रज्ञेश तिवारी ने प्रेस कांफ्रेंस कर पत्रकारों से चर्चा करते हुए बताया कि गौर कापा मंदिर ट्रस्ट की जमीन के मामले को उठाने पर उन्हें फंसाया गया। उन्होंने ट्रस्ट की जमीन मंदिर के महंत और उनके शिष्यों द्वारा निजी नाम पर करवाये जाने के कई गंभीर आरोप भी लगाए है ।

प्रज्ञेश तिवारी ने प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि गौर कापा मंदिर ट्रस्ट की तकरीबन 107 एकड़ जमीन को पंडरिया तहसीलदार द्वारा 2015-16 में 9 टुकड़ो में 4 लोगों विष्णु उर्फ विवेक गिरी , मनोज गिरी , राघव गिरी ,बृजेन्द्र गिरी के नाम मे कर दिया गया है । दिनेशानंद गिरी के बाद विष्णु उर्फ विवेक गिरी सर्वराकार बनने के बाद न्यास को भंग कर ट्रस्ट की जमीन नौ टुकडों में विभाजित कर चार लोगों के नाम शासकीय दस्तवेजो में चढ़ा दी गई है । जिसमे तत्कालीन तहसीलदार पंडरिया की भूमिका सन्दिग्ध रही है । प्राप्त जानकारी नुसार श्री शंकर जी मन्दिर श्रींपंच दशनाम जूना अखाड़ा बड़ा हनुमानघाट काशी सोसायटी दिनेशानंद गुरुदत्तात्रेय सर्वराकार सक्र 59 प्रा 12/6/75 विवेक गिरी द्वारा 7।12।15 द्वारा पंजीकृत संस्था की जमीन को पंडरिया तहसील के मामला क्रमांक 34अ 6 वर्ष 2015-16 के तहत सर्वराकार विष्णुगिरी उर्फ विवेक गिरी को पंचदषनाम जूना अखाड़ा हनूमान घाट वाराणासी द्वारा गौरकांपा के मंदिरो के नाम से संचालित भूमि को कब्जा करने का अधिकार दिये जाने का उल्लेख करते ग्रामसभा गौरकांपा द्वारा पारित प्रस्ताव के आधार पर सर्वराकार विष्णुगिरी उर्फ विवेकगिरी के वृद्ध होने का उल्लेख आवेदन पत्र करते हुए सर्वराकार बदलने की मांग पर
राजस्व संहिता की धारा 110 के तहत ग्राम गौरकांपा के मंदिरो की जमीन में श्री शंकर जी मंदिर , श्री दत्तात्रेय मंदिर , श्री दुर्गा मंदिर , श्री जलेश्वर महादेव मंदिर , श्री नर्मदेश्वर महादेव के लिए मनोज गिरी , श्री हनुमान मंदिर , श्री कृष्णगोपाल मंदिर के लिए राघव गिरी , श्री शनि मंदिर , श्री तुलसी चौरा मंदिर के लिए बृजेंद्र गिरी के नाम सर्वराकार नियुक्ति का आदेश जारी हुआ किन्तु तहसीलदार की भ्रष्ट कार्यशैली के चलते मामला विवादास्पद हो गया । दस्तावेजो के अवलोकन से पता चलता है कि प्रकरण में विजेंद्र गिरी गुरु विष्णु गिरी उर्फ विवेक गिरी के 26 दिसम्बर 2012 को शपथ पूर्वक बयान दर्ज किया गया जिसमें बृजेन्द्र गिरी के हस्ताक्षर तक नही है । जिससे उक्त सर्वराकार नियुक्ति ही सन्दिग्ध हो जाती है और तत्तकालीन तहसीलदार की भूमिका भी संदेहास्पद है ।
तिवारी ने मांग की है कि तहसीलदार पंडरिया को आवेदन दिए कि कई मंदिरों की जमीन के देखरेख में दिक्कत होने के कारण व्यवस्था के लिए जमीन का नामांतरण व अभिलेख दुरुस्त करने आवेदन दिया गया है दानदाताओं की भावना के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है । मामले की शिकायत एसडीएम कलेक्टर से की गई है। इसके बाद भी कार्रवाई नहीं हुई, जबकि इसकी जांच होनी चाहिए और जमीन यथावत ट्रस्ट के नाम पर होने के बाद दोषियों पर कार्रवाई होनी चाहिए। क्षेत्र के जनभावना को समझ आवाज उठा रहा हूँ इसलिए आवाज को दबाने फर्जी तरीके से कार्यवाही की जा रही है ।

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