मुख्यमंत्री डॉ. यादव के नेतृत्व में मध्यप्रदेश में गो-संरक्षण और दुग्ध उत्पादन को मिलेगा बढ़ावा

भोपाल (एजेंसी)। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि भारतीय सनातन संस्कृति में गो-माता और गो-पालन का महत्वपूर्ण स्थान है। जो व्यक्ति गो-पालन करता है, वह गोपाल कहलाता है, और जहां गो-पालन होता है, वह घर गोकुल के समान है। सरकार की उच्च प्राथमिकता गो-संरक्षण और संवर्धन है, जिसके लिए समाज के सहयोग से लगातार कार्य किया जा रहा है।
दुग्ध उत्पादन से बढ़ेगी किसानों की आय
मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि मध्यप्रदेश में दुग्ध उत्पादन को बढ़ाकर पशुपालक किसानों की आय को दोगुना किया जाएगा। मध्यप्रदेश अपनी प्राकृतिक संपदा के साथ-साथ गो-वंश से समृद्ध राज्य है। वर्तमान में देश के कुल दुग्ध उत्पादन का लगभग 9 प्रतिशत मध्यप्रदेश में होता है, जिसे सरकार 20 प्रतिशत तक ले जाने का लक्ष्य रखती है।
दुग्ध समृद्धि संपर्क अभियान
इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रदेश के गांव-गांव में “दुग्ध समृद्धि संपर्क अभियान” चलाया जा रहा है। इस अभियान के तहत पशु चिकित्सक घर-घर जाकर पशुपालकों को निम्न विषयों पर जानकारी दे रहे हैं:
दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के आधुनिक तरीके।
पशुओं में नस्ल सुधार।
पशु स्वास्थ्य और पशु पोषण।
वर्ष 2024-25 को प्रदेश में गो-संरक्षण एवं संवर्धन वर्ष के रूप में मनाया गया।
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती 2 अक्टूबर से शुरू हुए इस अभियान के अंतर्गत विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों ने 10 या अधिक गो-वंश/भैंस-वंश पालने वाले 3 लाख 70 हजार से अधिक पशुपालकों से उनके घर पहुंचकर संवाद किया। इस दौरान उन्हें कम खर्च पर अधिक दूध उत्पादन और ज्यादा लाभ कमाने के तरीकों के बारे में जागरूक किया गया, साथ ही उनकी समस्याओं का भी निराकरण किया गया। अभियान में जनप्रतिनिधि, अधिकारी और समाज के गणमान्य व्यक्तियों ने भी सहभागिता की।
गोवर्धन पर्व का आयोजन
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने निर्देश दिए हैं कि प्रदेश में 21 अक्टूबर को गोवर्धन पर्व लोक अनुष्ठान और सांस्कृतिक परंपराओं के अनुसार मनाया जाए।
आयोजन में भागीदारी: गौशालाओं और पशुपालकों को विशेष रूप से शामिल किया जाएगा।
सम्मान: पशुपालन और दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में विशेष उपलब्धियां दर्ज करने वाले और नवाचार करने वाले उद्यमियों को सम्मानित किया जाएगा।
सामुदायिक आयोजन: प्रदेश की गो-शालाओं में सामुदायिक गोवर्धन पर्व मनाया जाएगा।
मुख्य आयोजन: मुख्य आयोजन रवीन्द्र भवन, भोपाल में होगा, जिसमें गोवर्धन पूजन, परिक्रमा और अन्नकूट भोग मुख्य होंगे।
सांस्कृतिक कार्यक्रम: इस अवसर पर पशुचारक समुदायों की कला, जैसे बरेदी और ठाट्या नृत्य का प्रस्तुतीकरण होगा।
प्रदर्शनियां और स्टॉल: कार्यक्रम में जैविक उत्पाद, दुग्ध उत्पाद, गोबर आधारित शिल्प के स्टॉल लगेंगे। पशुपालन, कृषि, सहकारिता विभाग की योजनाओं की जानकारी के लिए भी विशेष व्यवस्था होगी।
अन्य गतिविधियां: ग्रामीण आजीविका के लिए दुग्ध उत्पादन और वृंदावन ग्राम योजना के विस्तार पर भी गतिविधियां होंगी।
वितरण: गोवर्धन पर्व पर आंगनवाड़ी केंद्रों में पंचगव्य उत्पाद (घी, दूध, पनीर, दही) से बनी सामग्री का वितरण किया जाएगा।
गो-शालाओं को सहायता और विस्तार
मध्यप्रदेश सरकार गो-पालन, गो-संवर्धन और गो-वंश के बेहतर व्यवस्थापन के लिए प्रतिबद्ध है।
अनुदान राशि में वृद्धि
राज्य सरकार ने गो-शालाओं में गो-वंश के आहार के लिए दी जाने वाली अनुदान राशि को 20 रुपये प्रति गो-वंश प्रतिदिन से बढ़ाकर 40 रुपये प्रति गो-वंश प्रतिदिन कर दिया है।
बजट वृद्धि: गो-वंश के भरण-पोषण का बजट 2 वर्ष पहले 90 करोड़ रुपये था, जिसे पिछले वर्ष 250 करोड़ रुपये और वित्त वर्ष 2025-26 में बढ़ाकर 600 करोड़ रुपये कर दिया गया है।
पारदर्शिता: अनुदान की राशि डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) के माध्यम से सीधे गो-शालाओं के बैंक खातों में अंतरित की जा रही है (लगभग 50 करोड़ रुपये प्रति माह)।
गो-शालाओं की संख्या
वर्तमान संख्या: प्रदेश में वर्तमान में 2900 गो-शालाएं संचालित हैं, जिनमें लगभग 4 लाख 25 हजार गो-वंश का व्यवस्थापन किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री गो-सेवा योजना: ग्रामीण क्षेत्रों में इस योजना के अंतर्गत 2203 गो-शालाएं संचालित हैं, जिनमें 2 लाख 11 हजार गो-वंश हैं।
विस्तार: विगत एक वर्ष में 1000 से अधिक नवीन गो-शालाएं शुरू की गई हैं, जिनमें एक लाख से अधिक गो-वंश का व्यवस्थापन हो रहा है।
नगरीय क्षेत्रों में: नगर पालिक निगम ग्वालियर, उज्जैन और इंदौर में वृहद गो-शालाएं खोली गई हैं।
भोपाल में वृहद गो-शाला: भोपाल में 69.18 एकड़ भूमि पर 10,000 गो-वंश क्षमता की वृहद गो-शाला का निर्माण कार्य किया जा रहा है, जिसकी लागत लगभग 45 करोड़ रुपये है। इसे अगले एक वर्ष में पूरा करने का लक्ष्य है।
गो-अभ्यारण्य: सालरिया, जिला आगर-मालवा स्थित गो-अभ्यारण्य अनुसंधान एवं उत्पादन केन्द्र में वर्तमान में 6500 गो-वंश का व्यवस्थापन किया जा रहा है।
स्वावलंबी गो-शालाओं (गोकुल धाम) की स्थापना नीति-2025
गो-शालाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में सरकार ने “स्वावलंबी गो-शालाओं (गोकुल धाम) की स्थापना नीति-2025” लागू की है।
भूमि आवंटन: इस नीति के तहत, न्यूनतम 5000 गो-वंश के व्यवस्थापन के लिए राज्य सरकार द्वारा गो-शालाओं को 130 एकड़ तक भूमि उपयोग के लिए दी जाएगी। इसमें से 5 एकड़ भूमि व्यावसायिक गतिविधियों के लिए दी जाएगी।
देश का पहला राज्य: मध्यप्रदेश ऐसा करने वाला देश का पहला राज्य है।
प्रगति: प्रदेश के 18 जिलों में 4235 एकड़ भूमि आवंटित हो चुकी है, और 13 जिलों (मंदसौर, जबलपुर, रायसेन, दमोह, सागर, पन्ना, विदिशा, सतना, अशोकनगर, छतरपुर, रतलाम, शाजापुर और भिण्ड) में निविदाएं भी जारी की जा चुकी हैं।
गो-वंश वध पर कठोर कानून
गो-वंश के वध पर कानूनी रूप से पूर्ण प्रतिबंध लगाने वाला मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य है।
अधिनियम: प्रदेश में गो-वंश वध प्रतिषेध अधिनियम-2004 (संशोधित 2010) लागू है।
गो-वंश के वध पर 7 साल का कारावास।
गो-मांस रखने/परिवहन करने पर 3 वर्ष का कारावास।
संशोधन (2024): अधिनियम को और कठोर करते हुए मध्यप्रदेश गो-वंश वध प्रतिषेध (संशोधन) अधिनियम-2024 में गो-वंश के अवैध परिवहन में प्रयुक्त वाहन को राजसात करने का प्रावधान भी किया गया है।
















