एक बड़े ऑक्सीजन प्लांट घोटाले का खुलासा, पूर्व CMHO समेत कई पर आरोप, FIR दर्ज

सूरजपुर। सूरजपुर जिले के स्वास्थ्य विभाग में एक बड़े ऑक्सीजन प्लांट घोटाले का खुलासा हुआ है, जिसने विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। कोरोना काल के दौरान लगाए गए 83 लाख रुपये के ऑक्सीजन प्लांट के भुगतान में भारी गड़बड़ी सामने आई है। आरोप है कि जिस फर्म ने काम किया, भुगतान किसी दूसरी फर्जी फर्म को कर दिया गया।
फर्जी फर्म को मिला 81 लाख से अधिक का भुगतान
शिकायतकर्ता जयंत चौधरी ने पुलिस में लिखित शिकायत दी है कि जिला अस्पताल सूरजपुर में ऑक्सीजन प्लांट की स्थापना का कार्य उनकी फर्म यूनिक इंडिया कम्पनी (GST: 22AGNPC9076B1ZM) द्वारा किया गया था। लेकिन भुगतान किसी दूसरी फर्म – यूनिक इंडिया कम्पनी, दंतेवाड़ा (GST: 22ALNPB1746L2Z5) को कर दिया गया।
इस फर्जी फर्म को 5 जनवरी 2022 को ₹50 लाख और 31 जनवरी 2022 को ₹31.85 लाख, यानी कुल ₹81.85 लाख का भुगतान कर दिया गया।
पूर्व CMHO समेत कई कर्मचारियों पर मिलीभगत का आरोप
शिकायत में पूर्व मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी आर.एस. सिंह और उनके कार्यालय के कर्मचारियों पर मिलीभगत कर घोटाला करने का आरोप है। इस घोटाले को योजनाबद्ध तरीके से अंजाम दिया गया, जहां नाम मिलती-जुलती दूसरी फर्म का उपयोग कर सरकारी राशि का दुरुपयोग किया गया।
जांच में जुटा प्रशासन
जिला स्वास्थ्य अधिकारी ने मामले की पुष्टि करते हुए बताया कि उन्हें शिकायत मिली है और पुलिस जांच जारी है। उन्होंने कहा, “काम किसी और ने किया, भुगतान किसी और को किया गया – यह गंभीर मामला है। जांच के बाद ही कोई ठोस जानकारी दी जा सकेगी।”
FIR दर्ज, जांच जारी : पुलिस
एडिशनल एसपी संतोष महतो ने जानकारी दी कि मामले में एफआईआर दर्ज कर ली गई है और जांच शुरू कर दी गई है। दस्तावेज़ों और बैंक ट्रांजेक्शन की गहनता से जांच की जा रही है।
कड़ी कार्रवाई का भरोसा : विधायक भूलन सिंह मरावी
घोटाले पर प्रतिक्रिया देते हुए स्थानीय विधायक भूलन सिंह मरावी ने कहा, “हमारी सरकार भ्रष्टाचार के मामलों में ज़ीरो टॉलरेंस की नीति पर काम कर रही है। जिसने भी जनता के पैसे का दुरुपयोग किया है, उसे बख्शा नहीं जाएगा।”
सूरजपुर स्वास्थ्य विभाग में सामने आया यह घोटाला न केवल कोरोना काल में हुए ऑक्सीजन संकट की संवेदनशीलता पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि सरकारी तंत्र में बैठे भ्रष्ट तत्त्वों की मिलीभगत का भी प्रमाण है। अब देखना होगा कि जांच किस दिशा में जाती है और दोषियों पर कब तक कार्रवाई होती है।