मध्यप्रदेश

मध्य प्रदेश की ‘मोहनपुरा-कुंडालिया परियोजना’ : किसानों की समृद्धि और खुशहाली का आधार

भोपाल (एजेंसी)। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले में संचालित ‘मोहनपुरा-कुंडालिया सिंचाई परियोजना’ की सराहना करते हुए कहा है कि यह परियोजना किसानों की समृद्धि और हर खेत तक पानी पहुँचाने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो रही है। यह अनूठी पहल न केवल खेतों को पानी दे रही है, बल्कि उद्योगों के लिए जल आपूर्ति और पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित करके क्षेत्र में नए निवेश और रोजगार के अवसर भी बढ़ा रही है, जिससे आम जीवन बेहतर हो रहा है।

‘प्रेशराइज्ड पाइप नेटवर्क’ पर आधारित विश्व की विशिष्ट योजना

यह सिंचाई परियोजना “प्रेशराइज्ड पाइप नेटवर्क” (दबावयुक्त पाइप जाल) तकनीक पर आधारित है, जो इसे विश्व भर में अद्वितीय बनाती है। यह मध्य प्रदेश में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की ‘पर ड्रॉप, मोर क्रॉप’ (प्रति बूँद, अधिक फसल) की अवधारणा को साकार कर रही है। भारत के विभिन्न राज्यों के साथ-साथ विदेशों के प्रतिनिधिमंडल भी इस परियोजना का अध्ययन करने आ रहे हैं। इस जल-संसाधन प्रबंधन के उत्कृष्ट कार्य के लिए परियोजना को भारत सरकार का प्रतिष्ठित ‘सीबीआईपी’ (CBIP) पुरस्कार भी मिल चुका है।

‘पर ड्रॉप मोर क्रॉप’ की सोच हुई सफल

प्रधानमंत्री श्री मोदी के ‘पर ड्रॉप, मोर क्रॉप’ के विचार को हमारे इंजीनियरों ने “प्रेशराइज्ड पाइप नेटवर्क” जैसी अति-आधुनिक तकनीक पर काम करके सफलता दिलाई है। ‘मोहनपुरा-कुंडालिया सिंचाई परियोजना’ इसी का सुपरिणाम है। इस प्रणाली से बांध का लगभग 80% पानी सीधे किसानों के खेतों तक पहुँचता है, और यहाँ तक कि ऊँचाई वाले खेतों में भी पानी आसानी से पहुँच जाता है। इसमें लगा ‘स्काडा’ (SCADA) आधारित ऑटोमेशन सिस्टम यह सुनिश्चित करता है कि फसलों की जरूरत के अनुसार ही किस क्षेत्र में कितना पानी पहुँचे। पानी की एक-एक बूँद का अधिकतम उपयोग आज की आवश्यकता है, और यह परियोजना उसे पूरा कर रही है।

नेवज नदी पर मोहनपुरा बांध और कालीसिंध नदी पर कुंडालिया बांध बनाकर शुरू की गई इस परियोजना में, पानी को भूमिगत पाइपलाइन के माध्यम से दबाव के साथ सीधे खेत तक पहुँचाया जाता है। इसके सेंसर और ऑटोमेशन से पानी के वितरण को नियंत्रित किया जाता है। यह क्रांतिकारी सोच सूखे से प्रभावित राजगढ़ जिले की किस्मत बदल रही है।

रिकॉर्ड लंबी पाइपलाइन और आधुनिक तकनीक का प्रयोग

इस परियोजना में 26,000 किलोमीटर लंबी भूमिगत प्रेशराइज्ड पाइपलाइन बिछाई गई है, जो न केवल भारत में बल्कि पूरे विश्व में एक मिसाल है। इस नेटवर्क को चलाने के लिए 20 बड़े पंपिंग स्टेशन बनाए गए हैं, जो पानी को दबाव के साथ भेजते हैं ताकि वह ऊँचे-नीचे खेतों तक पहुँचे। हर आउटलेट से लगभग एक से सवा हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई होती है।

‘स्काडा’ आधारित ऑटोमेशन सिस्टम पूरी प्रणाली को कंप्यूटर और सेंसर से जोड़ता है, जिससे कंट्रोल रूम से यह तय किया जा सकता है कि किस क्षेत्र को कितना पानी चाहिए। यह केंद्रीकृत पंपिंग प्रणाली हर साल लगभग 69 मिलियन यूनिट बिजली की बचत करती है।

इसकी एक और खास विशेषता ‘ला-रा’ नेटवर्क का उपयोग है, जिसमें लगभग 1.5 लाख सेंसर और कंट्रोलर एक साथ जोड़े गए हैं, जो सौर ऊर्जा से संचालित होते हैं। पंपिंग स्टेशनों में लगे ‘वैरिएबल फ्रीक्वेंसी ड्राइव्स’ फसलों की जरूरत और मौसम के हिसाब से पानी का दबाव और मात्रा नियंत्रित करते हैं। यह अत्यंत आधुनिक सिंचाई प्रणाली आज पूरे विश्व के लिए जल के इष्टतम उपयोग का एक बेमिसाल उदाहरण बन गई है।

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