छत्तीसगढ़टॉप न्यूज़देश-विदेशलेख-आलेख

वरिष्ठ पत्रकार जवाहर नागदेव की बेबाक कलम…क्या भाजपा को भारी पड़ेगी साय की हाय

निस्संदेह एक बेहतरीन इंसान, गरिमामय नेता, सहृदय सहयोगी नंदकुमार साय जिन्होंने केवल आदिवासियों की शराब छुड़ाने के लिये नमक तक छोड़ दिया था। प्रचलित है, सबको पता है कि 1973 में आदिवासियों को जब सायजी शराब छोड़ने को कह रहे थे तो उन्होंने कह दिया था कि जैसे आपके लिये खाने में नमक है वैसे ही हमारे लिये जीवन में शराब… । क्या आप नमक छोड़ सकते हैं ? यदि आप नमक छोड़ पाए तो हम भी शराब छोड़ देंगे।
इस घटना से सायजी ने तत्काल नमक छोड़ने का निर्णय ले लिया। आदिवासियों की शराब छूटी या नहीं पता नहीं। लेकिन सायजी ने उसके बाद से कभी नमक नहीं खाया। कितना बड़ा त्याग है….
आम आदमी तो एक बार खा ले लेकिन  दूसरी बार नमक न हो या कम हो तो घर सर पर उठा ले। ऐसे में उस महामानव ने 50 सालों से नमक नहीं खाया। असंभव सी लगने वाली बात है।
जो इंसान औरों का जीवन सुधारने के लिये इतना बड़ा त्याग कर सकता है वो अपनी पार्टी के लिये क्या नही ंकर सकता… । निस्संदेह एक नेक सियासत की मिसाल हैं सायजी।

पार्टी छोड़ने का फर्क

यूं तो आम प्रचलित तर्क है कि किसी के चले जाने से पार्टी को कोई फर्क नहीं पड़ता। लेकिन ये पूर्ण सत्य नहीं है। क्या हेमन्ता विष्वशर्मा के कांग्रेस छोड़ देने से कांग्रेस को फर्क नहीं पड़ा या सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने से कांग्रेस अविचलित बनी रही ? निस्संदेह नहीं।
तो फर्क तो पड़ता है। राजनैतिक परिस्थितियों और नेता के कद के हिसाब से कम या ज्यादा… फर्क पड़ता ही है। सायजी के भाजपा छोड़ देने से भाजपा को फर्क तो पड़ेगा ही। ये कितना होगा ये वक्त बताएगा।

बुजुर्गों से अधिकार लेना उचित
लेकिन सम्मान लेना अनुचित

कई लोगों का तर्क है कि परिवार में जब बच्चे बड़े होते हैं तो उन्हें सत्ता सौंप देनी चाहिये, निर्णय के अधिकार दे देने चाहियें। बात सही है लेकिन उसकी तादाद क्या हो, उसका स्तर क्या हो ये भी विचार कर व्यवहार करना चाहिये। कई लोग मोदीजी के रिटायरमेन्ट के फार्मूले से इस बार कट जाएंगे, ये तय है। पहले भी कटे हैं।
और जो आराम से इस परिस्थिति को स्वीकार कर लेंगे उन्हें कष्ट नहीं होगा लेकिन जो इस व्यवस्था को अस्वीकार करेंगे वे दुखी हांगे। तो यहां सायजी को भी स्वीकार करना चहिये था।
लेकिन एक महत्वपूर्ण बात ये है कि यदि परिवार के वरिष्ठ सदस्य को आप पूछोगे ही नहीं और उसकी उपेक्षा करोगे तो उसे ठेस लगेगी। बेशक अधिकार और निर्णय छोटे अपने हाथों में ले लें, अपने मन की करें लेकिन वरिष्ठ सदस्यों को सम्मान पाने का हक है और वो उन्हें मिलना ही चाहिये।
सायजी जैसे नेता जिन्होनें 40 साल बखूबी अपनी जवाबदारी निभाई निश्कलंक, उन्हें ऐसे उपेक्षित किया जाना इन परिस्थितियों में जब टक्कर कांटे की है भारी पड़ सकता है भाजपा को।

जवाहर नागदेव, वरिष्ठ पत्रकार, लेखक, चिन्तक, विश्लेषक
mo 9522170700

Show More

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button