ज्योतिष

आज का हिन्दू पंचांग

हिन्दू पंचांग 
दिनांक – 27 जुलाई 2023
दिन – गुरुवार
विक्रम संवत् – 2080
शक संवत् – 1945
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – वर्षा
मास – अधिक श्रावण
पक्ष – शुक्ल
तिथि – नवमी दोपहर 03:47 तक तत्पश्चात दशमी
नक्षत्र – विशाखा रात्रि 01:28 तक तत्पश्चात अनुराधा
योग – शुभ दोपहर 01:39 तक तत्पश्चात शुक्ल
राहु काल – दोपहर 02:26 से 04:05 तक
सूर्योदय – 06:08
सूर्यास्त – 07:24
दिशा शूल – दक्षिण दिशा में
ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 04:42 से 05:25 तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:25 से 01:08 तक

व्रत पर्व विवरण –
विशेष – नवमी को लौकी एवं दशमी को कलम्बी शाक खाना त्याज्य है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)

संतरा – फलों द्वारा स्वास्थ्य-रक्षा

संतरा – यह सुपाच्य, क्षुधा व उत्साहवर्धक तथा  तृप्तिदायी है ।

निम्नलिखित सभी प्रयोगों में संतरे के रस की मात्रा : ५० से १०० मि.ली.

(१) संतरे व नींबू का रस (१० मि.ली.) हृदय की दुर्बलता व दोष मिटानेवाला है । दिन में २ बार लें ।

(२) संतरे के रस में उतना ही नारियल पानी पेशाब की रुकावट दूर कर उसे स्वच्छ व खुल के लानेवाला है ।

(३) शहदसंयुक्त संतरे का रस हृदयरोगजन्य सीने के दर्द, जकड़न व धड़कन बढ़ाने में लाभदायी है ।

(४) संतरे के रस के साथ स्वादानुसार पुदीना, अदरक व नींबू का रस पेट के विकारों (उलटी, अरुचि, उदरवायु, दर्द व कब्ज आदि) में विशेष लाभकारी है ।

(५) संतरे का रस व १० ग्राम सत्तू अत्यधिक मासिक स्राव व उसके कारण उत्पन्न दुर्बलता में लाभदायी है । सगर्भावस्था में इसका नियमित सेवन करने से प्रसव सुलभ हो जाता है ।

मन कल्पवृक्ष

सुबह उठकर भी यदि सोचते हैं कि ‘मैं दुःखी हूँ… मेरा कोई नहीं… मैं लाचार हूँ…’ तो पूरा दिन परेशानी और दुःख में बीतेगा । सुबह उठकर यदि आप यह सोचें कि ‘दुःख तो बेवकूफी का फल है । चाहे कुछ भी हो जाय, मैं आज दुःखी होने वाला नहीं । मेरा रब, प्रभु मेरे साथ है । मनुष्य जन्म पाकर भी दुःखी और चिंतित रहना बड़े शर्म की बात है । दुःखी और चिंतित तो वे रहें जिनका आत्मा-परमात्मा मर गया । मेरा आत्मा-परमात्मा तो ऐ रब ! तू मौजूद है न ! प्रभु तेरी जय हो ! ….. आज तो मैं मौज में रहूँगा ।’ तो फिर देखो, आपका दिन कैसा गुजरता है ।

आपका मन कल्पवृक्ष है । आप जैसा दृढ़ चिंतन करते हैं, वैसा होने लगता है । अतः धैर्यपूर्वक चिंतन करें ।

गुरुवार विशेष 

हर गुरुवार को तुलसी के पौधे में शुद्ध कच्चा दूध गाय का थोड़ा-सा ही डाले तो, उस घर में लक्ष्मी स्थायी होती है और गुरूवार को व्रत उपवास करके गुरु की पूजा करने वाले के दिल में गुरु की भक्ति स्थायी हो जाती है ।

गुरुवार के दिन देवगुरु बृहस्पति के प्रतीक आम के पेड़ की निम्न प्रकार से पूजा करें :

एक लोटा जल लेकर उसमें चने की दाल, गुड़, कुमकुम, हल्दी व चावल डालकर निम्नलिखित मंत्र बोलते हुए आम के पेड़ की जड़ में चढ़ाएं ।

ॐ ऐं क्लीं बृहस्पतये नमः ।

फिर उपरोक्त मंत्र बोलते हुए आम के वृक्ष की पांच परिक्रमा करें और गुरुभक्ति, गुरुप्रीति बढ़े ऐसी प्रार्थना करें । थोड़ा सा गुड़ या बेसन की मिठाई चींटियों को डाल दें ।

गुरुवार को बाल कटवाने से लक्ष्मी और मान की हानि होती है ।

गुरुवार के दिन तेल मालिश हानि करती है । यदि निषिद्ध दिनों में मालिश करनी ही है तो ऋषियों ने उसकी भी व्यवस्था दी है । तेल में दूर्वा डाल के मालिश करें तो वह दोष चला जायेगा ।

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