आज का हिन्दू पंचांग

हिन्दू पंचांग
दिनांक – 30 अगस्त 2023
दिन – बुधवार
विक्रम संवत् – 2080
शक संवत् – 1945
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – शरद
मास – श्रावण
पक्ष – शुक्ल
तिथि – चतुर्दशी सुबह 10:58 तक तत्पश्चात पूर्णिमा
नक्षत्र – धनिष्ठा रात्रि 08:47 तक तत्पश्चात शतभिषा
योग – अतिगंड रात्रि 09:33 तक तत्पश्चात सुकर्मा
राहु काल – दोपहर 12:40 से 02:15 तक
सूर्योदय – 06:21
सूर्यास्त – 06:59
दिशा शूल – उत्तर दिशा में
ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 04:50 से 05:36 तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:18 से 01:03 तक
व्रत पर्व विवरण – रक्षाबन्धन, नारियली-श्रावण पूर्णिमा, राखी पूर्णिमा, हयग्रीव जयंती
विशेष – चतुर्दशी एवं पूर्णिमा के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)
रक्षा बंधन – 30, 31अगस्त 2023
रक्षा सूत्र बाँधने का शुभ मुहूर्त
30 अगस्त रात्रि 9:02 से 11:13 बजे तक – शुभ अमृत चौघड़िया
31 अगस्त प्रातः 3:32 से 4:54 तक – ब्रह्म मुहूर्त लाभ चौघड़िया
31 अगस्त सुबह 6:21 से 7:06 तक – शुभ चौघड़िया
रक्षाबंधनः संकल्पशक्ति का प्रतीक
रक्षाबंधन के दिन बहन भैया के ललाट पर तिलक-अक्षत लगाकर संकल्प करती है कि ‘मेरा भाई भगवत्प्रेमी बने । जैसे शिवजी त्रिलोचन हैं, ज्ञानस्वरूप हैं, वैसे ही मेरे भाई में भी विवेक-वैराग्य बढ़े, मोक्ष का ज्ञान, मोक्षमय प्रेमस्वरूप ईश्वर का प्रकाश आये । मेरा भाई धीर-गम्भीर हो । मेरे भैया की सूझबूझ, यश, कीर्ति और ओज-तेज अक्षुण्ण रहें ।’ भाई सोचें कि ‘हमारी बहन भी चरित्रप्रेमी, भगवत्प्रेमी बने ।’
इस पर्व पर धारण किया हुआ रक्षासूत्र सम्पूर्ण रोगों तथा अशुभ कार्यों का विनाशक है । इसे वर्ष में एक बार धारण करने से वर्ष भर मनुष्य रक्षित हो जाता है । (भविष्य पुराण)
रक्षाबंधन के पर्व पर बहन भाई को आयु, आरोग्य और पुष्टि की बुद्धि की भावना से राखी बाँधती है । अपना उद्देश्य ऊँचा बनाने का संकल्प लेकर ब्राह्मण लोग जनेऊ बदलते हैं ।
समुद्र का तूफानी स्वभाव श्रावणी पूनम के बाद शांत होने लगता है । इससे जो समुद्री व्यापार करते हैं, वे नारियल फोड़ते हैं ।
आई फ्लू से सुरक्षा व निवारण
पिछले कुछ दिनों से आई फ्लू, जिसे ‘आँख आना’ भी कहते है, व्यापक स्तर पर देशभर में फैल रहा है । यह कोई गम्भीर बीमारी नहीं है वरन् विषाणु (वायरस) या जीवाणु (बैक्टीरिया) के द्वारा फैलनेवाला आँखों का संक्रमण है, जो अधिकतर ठंड या बरसात में होता है ।
लक्षण : आँखों का लाल होना, आँखों में सूजन आना, आँखों में खुजली, चुभन और हलका दर्द होना, गले में खराश, आँखों से पानी अथवा पीले या हरे रंग का गाढ़ा-चिपचिपा द्रव निकलना, पलकों का चिपकना आदि ।
आई फ्लू से सुरक्षा हेतु
हाथों को सैनिटाइजर (हरि ॐ हैंड सैनिटाइजर ) से साफ करें व आँखों को स्पर्श करने से बचें ।
जिन्हें आई फ्लू है उनसे थोड़ी दूरी बनाकर रखें ।
चश्मा आदि साफ करने हेतु सैनिटाइजर का उपयोग करें ।
आई फ्लू से राहत हेतु
यदि आप आई फ्लू से ग्रस्त हैं तो इन घरेलू उपायों व औषधीय प्रयोगों द्वारा राहत पा सकते हैं :
दिन में २-३ बार आँखों को बंद करके हलके हाथों से बर्फ से सिंकाई करने से आँखों की सूजन और जलन में शीघ्र राहत मिलती है ।
१ कप गर्म पानी में ३ चुटकी हल्दी डाल के अच्छे से मिला लें । उसमें रूई डुबायें और रूई को पलकों पर रखकर सिंकाई करें । ऐसा दिन में ३-४ बार करने से आँखों की सूजन व दर्द कम होता है तथा संक्रमण का प्रभाव शीघ्र कम होता है ।
यदि आँखों में खुजली एवं चुभन ज्यादा है तो आलू का पतला टुकड़ा काटकर पलकों पर १५-२० मिनट तक रखें । इससे सूजन में भी राहत मिलेगी ।
२ ग्राम त्रिफला चूर्ण १५० मि.ली. पानी में २ घंटे भिगोकर रखें । चूर्ण नीचे बैठ जायेगा और पानी ऊपर रह जायेगा । इस पानी को निधार लें और सूती कपड़े की ४ परत करके छान लें । छने पानी से आँखों को धोयें अथवा आईवॉश कप या किसी कटोरी में ले के उसमें आँख डुबा के मिचकायें । इस दौरान मुँह में पानी भर के रखें । आधा से एक मिनट बाद मुँह का पानी बाहर निकाल दें । आईवॉश कप में नया जल भर लें और उपरोक्त विधि के अनुसार दूसरी आँख से भी करें। ऐसा दिन में २-३ बार करें ।
दिन में ३-४ बार आँखों में गुलाब जल की २- २ बूँदें डालें । आँवला रस, निरापद वटी आदि का सेवन भी हितकारी है ।
सावधानी : यदि आप आई फ्लू से ग्रस्त हैं तो ठीक होने तक टी.वी., मोबाइल फोन, कम्प्यूटर, लैपटॉप आदि का उपयोग कम- से-कम करें ।