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मणिपुर में शांति के प्रयास विफल करने में लगीं हैं विदेशी ताकतें : मोहन भागवत

नागपुर (एजेंसी)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि मणिपुर में हाल ही में हुई हिंसक घटनाओं में विदेशी ताकतों और दक्षिण पूर्वी एशिया की भू-राजनीति की भूमिका है जो संघर्षरत दोनों पक्षों के लोगों की शांति के प्रयासों को विफल करने के लिए कोई न कोई हादसा करवा रहीं हैं।

डाॅ. भागवत ने यहां राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुख्यालय में वार्षिक विजयादशमी उत्सव को संबोधित करते हुए यह बात कही। इस वर्ष विजयादशमी के उत्सव में मुख्य अतिथि के रूप में सुप्रसिद्ध पार्श्व गायक पद्मश्री शंकर महादेवन शामिल हुए।

सरसंघचालक ने अपने भाषण में मणिपुर हिंसा के साथ ही जी-20 समूह में मानव केन्द्रित विकास पर सहमति बनने, एशियाई खेलों में भारतीय खिलाड़ियों के शानदार प्रदर्शन एवं पदकों का कीर्तिमान बनने, हिमालयी क्षेत्र में आपदाओं एवं इस क्षेत्र में पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकता, स्वदेशी विकास पथ पर चलने, फिजूलखर्ची बंद करने तथा देश का रोजगार बढ़े व देश का पैसा देश में ही काम आए, विषयों पर अपने विचार व्यक्त किये।

डाॅ. भागवत ने मणिपुर हिंसा के कारणों की समीक्षा करते हुए कहा, “मणिपुर की वर्तमान स्थिति को देखते हैं तो यह बात ध्यान में आती है। लगभग एक दशक से शांत मणिपुर में अचानक यह आपसी फूट की आग कैसे लग गई? क्या हिंसा करने वाले लोगों में सीमापार के अतिवादी भी थे? अपने अस्तित्व के भविष्य के प्रति आशंकित मणिपुरी मैतेयी समाज और कुकी समाज के इस आपसी संघर्ष को सांप्रदायिक रूप देने का प्रयास क्यों और किसके द्वारा हुआ?

वर्षों से वहाँ पर सबकी समदृष्टि से सेवा करने में लगे संघ जैसे संगठन को बिना कारण इसमें घसीटने का प्रयास करने में किसका निहित स्वार्थ है? इस सीमा क्षेत्र में नागाभूमि और मिजोरम के बीच स्थित मणिपुर में ऐसी अशांति एवं अस्थिरता का लाभ प्राप्त करने में किन विदेशी सत्ताओं को रुचि हो सकती है? क्या इन घटनाओं की कारण परंपराओं में दक्षिण पूर्व एशिया की भू- राजनीति की भी कोई भूमिका है? देश में मजबूत सरकार के होते हुए भी यह हिंसा किन के बलबूते इतने दिन बेरोकटोक चलती रही है?

गत नौ वर्षों से चल रही शान्ति की स्थिति को बरकरार रखना चाहने वाली राज्य सरकार होकर भी यह हिंसा क्यों भड़की और चलती रही? आज की स्थिति में जब संघर्षरत दोनों पक्षों के लोग शांति चाह रहे हैं, उस दिशा में कोई सकारात्मक कदम उठता हुआ दिखते ही कोई हादसा करवा कर, फिर से विद्वेष और हिंसा भड़काने वाली ताकतें कौन सी हैं?”

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