मणिपुर में कानून-व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है : सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली (एजेंसी)। मणिपुर हिंसा मामले को लेकर मंगलवार को भी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि जातीय हिंसा भड़कने के बाद राज्य सरकार ने 6,523 एफआईआर दर्ज की हैं। हालांकि, इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य पुलिस ने कानून-व्यवस्था से नियंत्रण खो दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर में महिलाओं के यौन उत्पीड़न और वायरल वीडियो मामले में सुनवाई की। कोर्ट ने कहा है कि एक बात तो साफ है कि मामले में एफआईआर दर्ज करने में काफी देर हुई। मणिपुर में एक महिला को कार से निकालकर बेटे के सामने मार देने की घटना का जिक्र करते हुए कोर्ट ने कहा कि यह 4 मई को हुआ था, लेकिन मामले में एफआईआर सात जुलाई को दर्ज हुई। चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने मणिपुर सरकार को घेरते हुए कहा कि सिर्फ एक-दो एफआईआर के अलावा कोई गिरफ्तारी नहीं हुई। जांच भी ढीली ढाली रही। एफआईआऱ दो महीने बाद दर्ज हुईं और बयान तक दर्ज नहीं किए गए।
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड की अध्यक्षता वाली बेंच ने महिलाओं की ओर से पेश हुए वकील निजाम पाशा के आवेदन पर गौर किया, जिसमें कहा गया था कि महिलाओं को आज दिन में सीबीआई के सामने बयान दर्ज करने के लिए बुलाया गया है। हालांकि, केंद्र और मणिपुर सरकार की ओर से पेश हुए वकील एसजी तुषार मेहता ने कहा कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है।
यहां पढ़ें सुनवाई के दौरान क्या क्या हुआ…
मणिपुर हिंसा मामले में सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इस मामले में हलफनामा दायर किया गया है। एसजी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि महिलाओं के वीडियो मामले में राज्य पुलिस की ‘शून्य’ एफआईआर 5 मई को दर्ज की गई थी।
सॉलिसिटर जनरल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि राज्य पुलिस ने वायरल वीडियो मामले में किशोर सहित सात लोगों को गिरफ्तार किया है।
एसजी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि ऐसा लगता है कि वायरल वीडियो सामने आने के बाद पुलिस ने महिलाओं का बयान दर्ज किया।
हालांकि, इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बहुत स्पष्ट है कि वीडियो मामले में एफआईआर दर्ज करने में काफी देरी हुई है। मणिपुर हिंसा पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले की जांच बहुत सुस्त रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य में कानून-व्यवस्था और संवैधानिक तंत्र पूरी तरह से ध्वस्त हो गया है। कोर्ट ने आगे कहा कि यह स्पष्ट है कि पुलिस ने राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति पर नियंत्रण खो दिया है।
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या महिलाओं को भीड़ को सौंपने वाले पुलिसकर्मियों से राज्य पुलिस ने पूछताछ की थी। उन्होंने कहा कि यदि कानून एवं व्यवस्था तंत्र लोगों की रक्षा नहीं कर सकता तो नागरिकों का क्या होगा?
कोर्ट ने आगे कहा कि राज्य पुलिस जांच करने में असमर्थ है और उन्होंने राज्य की स्थिति से अपना नियंत्रण खो दिया है। मणिपुर में कोई कानून व्यवस्था नहीं बची है।
इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने ये भी पूछा कि FIR में कितने आरोपियों के नाम हैं और उनकी गिरफ्तारी के लिए क्या कार्रवाई की गई है।
सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी संख्या में एफआईआर का हवाला दिया। साथ ही सीबीआई से पूछा कि उसके बुनियादी ढांचे की सीमा क्या है?
साथ ही कोर्ट ने मणिपुर के डीजीपी को सोमवार को राज्य में बड़े पैमाने पर हुई जातीय हिंसा पर सुनवाई के दौरान उपस्थित रहने को भी कहा है।
इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर में महिलाओं के वायरल वीडियो मामले की घटना की तारीख और जीरो एफआईआर दर्ज करने और नियमित एफआईआर दर्ज करने की घटना का विवरण मांगा है।