सार्वजनिक उपक्रम क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ : उपराष्ट्रपति धनखड़
नई दिल्ली (एजेंसी)। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सार्वजनिक उपक्रम क्षेत्र को भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ करार देते हुए कहा है कि सशक्तीकरण अचानक हुई प्रतिक्रियाओं से नहीं आता बल्कि साहसिक निर्णयों से आता है।
श्री धनखड़ ने बृहस्पतिवार को यहां स्कोप पुरस्कार अर्पण समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि भारतीयों के रूप में आर्थिक राष्ट्रवाद में विश्वास करना चाहिए। उन्होंने कहा, सार्वजनिक उपक्रम क्षेत्र हमारा गौरव है।यह भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है।
उन्होंने जोर देकर कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र का मतलब लाभ नहीं होता है। सार्वजनिक क्षेत्र को दायित्व से जुड़ते हैं। उनका लाभ सामाजिक उत्थान में बड़े योगदान के रूप में है।
सार्वजनिक उपक्रम क्षेत्र की क्षमता पर विश्वास व्यक्त करते हुए श्री धनखड़ ने सार्वजनिक क्षेत्र से कृत्रिम बुद्धिमत्ता और क्वांटम कंप्यूटिंग जैसी उभरती और प्रौद्योगिकियों का पूर्ण उपयोग करने का आह्वान किया।
उन्होंने कहा,”अनुसंधान और विकास परिभाषित करेगा कि एक राष्ट्र कितना मजबूत होगा और एक राष्ट्र कितना सुरक्षित होगा”। उन्होंने सार्वजनिक क्षेत्र से अनुसंधान एवं विकास में निवेश करने और इस संबंध में संस्थानों को मदद करने को कहा।
उपराष्ट्रपति ने शासन में हाल के सुधारों का जिक्र करते हुए कहा कि अब शासन पारदर्शी और जवाबदेह है और अब अधिकारियों की सार्वजनिक उपक्रम क्षेत्र में कोई घुसपैठ नहीं है।
महिलाओं के सशक्तीकरण और साहसिक निर्णय लेने की आवश्यकता पर जोर देते हुए, उपराष्ट्रपति ने संसद और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई आरक्षण करने के लिए संवैधानिक संशोधन की सराहना की।
उन्होंने कहा कि यह आधी मानवता को शासन में सक्रिय रूप से भाग लेने का अवसर देगा। इस आरक्षण का एक महान सामाजिक तत्व है। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की महिलाएं, इन दोनों श्रेणियों के लिए संसद और विधानमंडल में पहले से ही आरक्षण है, लेकिन अब उनकी श्रेणी में एक तिहाई महिलाएं होंगी।
राजनीतिक लाभ के लिए लोगों की अज्ञानता का प्रयोग करने का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि लोगों की अज्ञानता का लाभ उठाना अनैतिकता और राष्ट्र के साथ अन्याय है।
उन्होंने सभी लोगों से आर्थिक राष्ट्रवाद में विश्वास करने की अपील की और कहा, समय आ गया है जब भारतीयों के रूप में हमें आर्थिक राष्ट्रवाद में विश्वास करना चाहिए। हमारे देश का खून उन आयातित वस्तुओं के कारण हो रहा है जिन्हें हम यहां बना सकते हैं। लोकल के लिए वोकल होना राष्ट्रवाद की भावना है।