देश-विदेश

प्रधानमंत्री मोदी ने लगातार 11वीं बार दिल्ली के लाल किले पर पहुंचकर तिरंगा झंडा फहराया

नई दिल्ली (एजेंसी)। देश आज अपना 78वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। इस मौके पर पीएम मोदी ने देशवासियों को शुभकामनाएं दी हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लगातार 11वीं बार दिल्ली के लाल किले पर पहुंचकर तिरंगा झंडा फहराया। इस दौरान लाल किले की प्राचीर से उन्होंने हाथ हिलाकर वहां मौजूद लोगों का अभिनंदन किया। ‘भारत माता की जय’ के साथ पीएम मोदी ने लाल किले की प्राचीर से अपने संबोधन की शुरुआत की। उन्होंने कहा कि जन-जन की सेवा करना हमारा संकल्प है। जन जन की सेवा से विकसित भारत बनाएंगे। हमने देश को नया आत्मविश्वास दिया। अगली पीढ़ी पर काम नहीं टाल सकते। आज आजादी के दीवानों को नमन करने का दिन है। स्वतंत्रता सेनानियों का तहे दिल से नमन है। पीएम मोदी ने लाल किले से संबोधन में क्या कहा

लाल किले की प्राचीर से पीएम मोदी ने कहा, ‘मेरे प्यारे देशवासियों, आज जो महानुभाव राष्ट्ररक्षा और राष्ट्रनिर्माण के लिए पूरी लगन और प्रतिबद्धता के साथ देश की रक्षा कर रहे हैं, ऊंचाई पर ले जाने का प्रयास कर रहे हैं। चाहे वे किसान हों, जवान हों, हमारे नौजवानों का हौसला हो, दलित हो पीड़ित हों, वंचित हों… लोकतंत्र के प्रति उसकी श्रद्धा पूरे विश्व के लिए एक प्रेरक घटना है। मैं आज ऐसे सभी को आदरपूर्वक नमन करता हूं।’

प्राकृतिक आपदा के कारण हम सबकी चिंता बढ़ती जा रही’
लाल किला से पीएम मोदी ने कहा, ‘प्यारे देशवासियो, इस वर्ष और पिछले कुछ वर्षों से प्राकृतिक आपदा के कारण हम सबकी चिंता बढ़ती जा रही है। प्राकृतिक आपदा में अनेक लोगों ने अपने परिवारजन खोए हैं। संपत्ति खोई है। राष्ट्र ने भी नुकसान झेला है। मैं आज उन सबके प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं और उन्हें विश्वास दिलाना चाहता हूं कि देश इस संकट की घड़ी में उनके साथ खड़ा है।

हमारे पूर्वजों पर हमें गर्व है- पीएम मोदी

पीएम मोदी ने कहा, ‘हम जरा आजादी से पहले के वे दिन याद करें। सैकड़ों साल की गुलामी और कालखंड संघर्ष का रहा। युवा हो, बुजुर्ग हो, किसान हो, महिला हो, आदिवासी हो… वे गुलामी के खिलाफ जंग लड़ते रहे। 1857 से पहले भी कई आदिवासी क्षेत्रों में आजादी के लिए जंग लड़ी जा रही थी। गुलामी का इतना लंबा कालखंड, जुल्मी शासक, अपरंपार यातनाएं, सामान्य से सामान्य मानव का विश्वास तोड़ने की हर तरकीबें लेकिन इसके बावजूद भी उस समय की आबादी के हिसाब से 40 करोड़ देशवासियों ने वो जज्बा दिखाया, सामर्थ्य दिखाया, एक सपना लेकर चले, एक संकल्प लेकर चलते रहे। एक ही श्रद्धा था वंदेमातरम। एक ही सपना था आजादी का। हमें गर्व है वे हमारे पूर्वज थे। 40 करोड़ लोगों ने दुनिया की महासत्ता को उखाड़कर फेंक दिया था। गुलामी की जंजीरों को तोड़ दिया था।

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