छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ में वन्यजीव संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति

रायपुर। वन्यजीवों के संरक्षण और विकास को प्राथमिकता देते हुए छत्तीसगढ़ सरकार ने उल्लेखनीय सफलताएँ हासिल की हैं। हाल ही में मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की अध्यक्षता में हुई छत्तीसगढ़ राज्य वन्यजीव कल्याण बोर्ड की 15वीं बैठक में बताया गया कि पिछले तीन वर्षों में राज्य में बाघों की संख्या में दोगुनी वृद्धि हुई है। जहाँ 2022 में बाघों की संख्या 17 थी, वहीं अप्रैल 2025 के सर्वेक्षण में यह बढ़कर 35 हो गई है। यह वृद्धि राज्य में चल रहे वन्यजीव संरक्षण प्रयासों की सफलता को दर्शाती है।

बाघों के संरक्षण में सफलता और भविष्य की योजनाएँ

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इस वृद्धि पर खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि बाघों की संख्या का बढ़ना इस बात का प्रमाण है कि छत्तीसगढ़ में वन्यजीवों के संरक्षण पर संतोषजनक काम हुआ है। उन्होंने अब अन्य वन्यजीवों के संरक्षण पर भी ध्यान केंद्रित करने की बात कही। मुख्यमंत्री ने जशपुर जिले के नीमगाँव में आने वाले प्रवासी पक्षियों के संरक्षण पर जोर दिया और कहा कि ऐसे अन्य क्षेत्रों की भी पहचान कर उनका विकास किया जाना चाहिए। इससे न केवल पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे।

वनमंत्री श्री केदार कश्यप ने कहा कि बाघों के साथ-साथ अन्य वन्यजीवों की संख्या और उनके आवास में भी सुधार हुआ है। उन्होंने विश्वास जताया कि आने वाले समय में और भी बेहतर परिणाम देखने को मिलेंगे।

बाघों के ट्रांसलोकेशन और राजकीय पशु-पक्षी के संरक्षण के प्रयास

प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) और बोर्ड के सदस्य सचिव श्री अरुण कुमार पांडेय ने बताया कि छत्तीसगढ़ में सर्वाधिक बाघ अचानकमार टाइगर रिज़र्व में पाए गए हैं। उन्होंने यह भी जानकारी दी कि राष्ट्रीय व्याघ्र संरक्षण प्राधिकरण, नई दिल्ली से उदंती-सीतानदी टाइगर रिज़र्व और गुरु घासीदास-तमोर पिंगला टाइगर रिज़र्व में मध्य प्रदेश से बाघों के ट्रांसलोकेशन (स्थानांतरण) की अनुमति मिल गई है, और यह प्रक्रिया जल्द ही पूरी की जाएगी।

इसके अलावा, राजकीय पशु वनभैंसा और राजकीय पक्षी पहाड़ी मैना के संरक्षण के लिए भी विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। असम से लाए गए वनभैंसों की संख्या में वृद्धि हो रही है और पहाड़ी मैना के संरक्षण के लिए “मैना मित्र” नामक एक विशेष समूह का गठन किया गया है।

वन क्षेत्रों में विकास और कनेक्टिविटी

बैठक में वन्यजीव संरक्षण से संबंधित कई महत्वपूर्ण प्रस्तावों को मंजूरी दी गई, जैसे गश्त मार्गों का निर्माण और संरक्षित क्षेत्रों को व्यवस्थित करना। इसके अतिरिक्त, वन क्षेत्रों में रहने वाले ग्रामीणों के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए कुछ विकास कार्यों को भी स्वीकृति दी गई। इनमें उदंती-सीतानदी टाइगर रिज़र्व के तहत सड़क निर्माण, मिशन अमृत योजना के अंतर्गत पाइपलाइन विस्तार, और कवर्धा वन मंडल में इंटरनेट के लिए ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछाने की अनुमति शामिल है।

इन कार्यों से वन क्षेत्रों में रहने वाले ग्रामीणों को मोबाइल और इंटरनेट कनेक्टिविटी मिलेगी, जिससे उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने और डिजिटल भुगतान करने में आसानी होगी। इससे क्षेत्र के लोगों का जीवन बेहतर होगा और वन्यजीवों की निगरानी भी मजबूत होगी।

बैठक में उपस्थित प्रमुख व्यक्ति

इस महत्वपूर्ण बैठक में विधायक श्री धर्मजीत सिंह और श्री चैतराम अटामी, मुख्य सचिव श्री अमिताभ जैन, पुलिस महानिदेशक श्री अरुण देव गौतम, अपर मुख्य सचिव श्रीमती ऋचा शर्मा, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव श्री सुबोध कुमार सिंह, प्रधान मुख्य वन संरक्षक श्री व्ही. श्रीनिवास राव और अन्य सरकारी अधिकारी तथा वन्यजीव विशेषज्ञ उपस्थित थे। सभी ने वन्यजीव संरक्षण को लेकर अपने महत्वपूर्ण सुझाव दिए।

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