सफलता के लिए निरंतर सीखना, कौशल निखारना और आत्मविकास अनिवार्य : रामनाथ कोविंद

नई दिल्ली (एजेंसी)। अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय का छठवाँ दीक्षांत समारोह आज (दिनांक) को गरिमापूर्ण वातावरण में संपन्न हुआ। इस समारोह में पूर्व राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता राज्यपाल श्री रमेन डेका ने की। इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय अति विशिष्ट अतिथि, जबकि उपमुख्यमंत्री श्री अरुण साव और उच्च शिक्षा मंत्री श्री टंकराम वर्मा विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल हुए। विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य डॉ. दिवाकर नाथ वाजपेयी भी उपस्थित रहे।
समारोह में 64 शोधार्थियों को शोध उपाधि (पीएच.डी.), 92 विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक (गोल्ड मेडल) और 36,950 स्नातक एवं स्नातकोत्तर विद्यार्थियों को उपाधियाँ प्रदान की गईं।
पूर्व राष्ट्रपति का आह्वान: निरंतर सीखें और राष्ट्र निर्माण में योगदान दें
मुख्य अतिथि पूर्व राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद ने स्नातक छात्रों को उनके उज्जवल भविष्य के लिए शुभकामनाएँ दीं और उन्हें राष्ट्र निर्माण में सक्रिय रूप से योगदान देने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने भारत की युवा पीढ़ी की ऊर्जा और आत्मविश्वास की प्रशंसा करते हुए कहा कि भारत आज दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, और वर्तमान युवा इस ऐतिहासिक प्रगति के साक्षी और भागीदार हैं।
श्री कोविंद ने इस बात पर जोर दिया कि विश्वविद्यालय से डिग्री प्राप्त करना शिक्षा की समाप्ति नहीं है। उन्होंने कहा कि इक्कीसवीं सदी में सफल होने के लिए यह अनिवार्य है कि युवा निरंतर सीखते रहें, अपने कौशल को निखारते रहें और आत्म-विकास पर ध्यान केंद्रित करें।
स्वर्ण पदक विजेताओं में बेटियाँ आगे: कोविंद
पूर्व राष्ट्रपति ने यह भी बताया कि देश के विश्वविद्यालयों में बेटियाँ शिक्षा के क्षेत्र में बेटों से आगे निकल रही हैं, और इस विश्वविद्यालय के स्वर्ण पदक विजेताओं में भी बेटियों की संख्या उल्लेखनीय है। उन्होंने विद्यार्थियों, विशेषकर पदक विजेताओं को बधाई देते हुए कहा कि उनकी यह उपलब्धि केवल उनकी अपनी मेहनत का फल नहीं है, बल्कि इसमें माता-पिता का त्याग, परिवार का सहयोग और गुरुजनों का अमूल्य मार्गदर्शन भी शामिल है।
उन्होंने छात्रों को प्रेरित करते हुए कहा, “यह मत सोचिए कि आप पीछे रह गए हैं। यदि आप प्रयास करना नहीं छोड़ते, तो आप हमेशा पहले स्थान पर हो सकते हैं।” उन्होंने छात्रों से अपने सपनों को साकार करने के लिए परिश्रम करने, भारतीय संस्कृति, मूल्यों और जड़ों से जुड़े रहने और योग एवं विज्ञान जैसी भारतीय विरासत को अपनाने का आह्वान किया।
राज्यपाल का संदेश: चुनौतियों से न डरें, अनुशासन से सफलता की नींव रखें
राज्यपाल श्री रमेन डेका ने विद्यार्थियों से कहा कि जीवन में अनेक चुनौतियाँ आती हैं और कभी-कभी हम गिरते भी हैं, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण यह है कि हर बार स्वयं को संभालकर फिर से खड़ा होना चाहिए। उन्होंने विद्यार्थियों को गिरावट से भयभीत न होने और हमेशा उठने का साहस रखने की सलाह दी।
राज्यपाल ने अनुशासन को जीवन में सफलता की मजबूत नींव बताया। उन्होंने कहा कि जीवन एक सुंदर यात्रा है, और इसे उद्देश्यपूर्ण, सकारात्मक और सार्थक ढंग से जीना प्रत्येक व्यक्ति का दायित्व है। उन्होंने मानसिक स्वास्थ्य के महत्व पर ध्यान केंद्रित करते हुए कहा कि आज तनाव एक बड़ी चुनौती बन चुका है। इसलिए योग, ध्यान और नियमित शारीरिक गतिविधि को जीवन का अभिन्न अंग बनाना आवश्यक है। राज्यपाल ने छात्रों से ऐसा कार्यक्षेत्र चुनने का आग्रह किया जिसमें तनाव कम हो, पारदर्शिता हो और जिससे स्वयं, समाज और राष्ट्र का सकारात्मक परिवर्तन संभव हो।
मुख्यमंत्री का मंत्र: संस्कृति से जुड़ाव, नवाचार और अनुशासन सफलता की कुंजी
मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने अपने संबोधन में कहा कि सफलता केवल डिग्री से नहीं, बल्कि सीखने की निरंतर इच्छा से तय होती है। उन्होंने कहा कि दुनिया तेजी से बदल रही है, और जो युवा अपनी संस्कृति की जड़ों से जुड़े रहते हुए तकनीक, नवाचार और मेहनत का मार्ग चुनते हैं, वही कल का भारत गढ़ेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जीवन में अवसर हमेशा बाहर नहीं मिलते, कई बार हमें स्वयं अवसर बनाने होते हैं। उन्होंने अनुशासन, लगन और सकारात्मक दृष्टि को वह शक्ति बताया, जो हर साधारण क्षण को असाधारण उपलब्धि में बदल देती है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यह पीढ़ी छत्तीसगढ़ और पूरे देश को नई ऊँचाइयों पर ले जाएगी।
श्री साय ने इस समारोह को केवल औपचारिक आयोजन नहीं, बल्कि विद्यार्थियों के सपनों, संकल्पों और संघर्षों का उत्सव बताया। उन्होंने विश्वविद्यालय द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप बहुविषयक अध्ययन, कौशल आधारित शिक्षण, चार वर्षीय स्नातक कार्यक्रम, अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट और आधुनिक पाठ्यचर्या जैसी व्यवस्थाओं को लागू करने की सराहना की, जिससे छात्र वैश्विक अवसरों का लाभ उठा सकें।
डिजिटल पहल और शोध प्रोत्साहन पर ज़ोर
मुख्यमंत्री ने विश्वविद्यालय की डिजिटलीकरण पहल की सराहना की, जिसके माध्यम से प्रवेश प्रक्रिया, परीक्षा फॉर्म, ट्रांसक्रिप्ट और डिग्री प्रमाण पत्र जैसी सेवाएँ ऑनलाइन उपलब्ध कराई गई हैं। उन्होंने कहा कि इस नई प्रणाली से छात्रों को सरल, पारदर्शी और त्वरित सेवाएँ मिल रही हैं। उन्होंने यह भी बताया कि पीएम उषा कार्यक्रम के तहत वित्तीय सहायता नए प्रयोगशालाओं, स्मार्ट कक्षाओं, डिजिटल लाइब्रेरी और आधुनिक शैक्षणिक अवसंरचना के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देगी, जिससे विश्वविद्यालय उच्च शिक्षा में गुणवत्ता और नवाचार को सुनिश्चित कर सकेगा।
मुख्यमंत्री ने विश्वविद्यालयों से राज्य की आवश्यकताओं के अनुरूप कृषि विज्ञान, पर्यावरण संरक्षण, सामाजिक संरचना, भाषा-साहित्य और तकनीकी नवाचार जैसे क्षेत्रों में गुणवत्तापूर्ण शोध को प्रोत्साहित करने का आह्वान किया।
अन्य अतिथियों का सम्मान और विकास कार्य
उपमुख्यमंत्री श्री अरुण साव ने अटल बिहारी वाजपेयी जी के मार्गदर्शन में बने इस राज्य की शिक्षा सहित विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति की सराहना की। उन्होंने विश्वविद्यालय द्वारा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा में किए जा रहे प्रयासों की भी सराहना की।
उच्च शिक्षा मंत्री श्री टंक राम वर्मा ने दीक्षांत समारोह को छात्रों के परिश्रम, संघर्ष और लगन का सम्मान बताया। उन्होंने जानकारी दी कि विश्वविद्यालय में अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट का प्रभावी उपयोग सुनिश्चित किया जा रहा है तथा 20 करोड़ रुपये की विकास परियोजनाओं को स्वीकृति दी गई है, जिससे शैक्षणिक अधोसंरचना और अधिक मजबूत होगी।
अतिथियों ने विश्वविद्यालय की त्रैमासिक पत्रिका ‘कन्हार’ का भी विमोचन किया। कार्यक्रम में स्वागत भाषण विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य डॉ. दिवाकर नाथ वाजपेयी ने दिया।
समारोह में विधायकगण सर्वश्री अमर अग्रवाल, धर्मजीत सिंह, धरमलाल कौशिक, सुशांत शुक्ला, अटल श्रीवास्तव, दिलीप लहरिया, क्रेडा के अध्यक्ष श्री भूपेन्द्र सवन्नी, महापौर श्रीमती पूजा विधानी, कुलसचिव डॉ. तारणीश गौतम सहित विश्वविद्यालय के प्राध्यापक और बड़ी संख्या में विद्यार्थी मौजूद रहे।
















