छत्तीसगढ़ में बढ़ेंगी जमीन की सरकारी कीमतें, गाइडलाइन दरों के पुनरीक्षण की तैयारी

रायपुर। छत्तीसगढ़ में अचल संपत्ति और जमीन की सरकारी कीमतों में बढ़ोतरी की तैयारी चल रही है। राज्य सरकार की कोशिश है कि जमीन के प्रचलित बाजार मूल्य और कलेक्टर गाइडलाइन दरों के बीच न्यूनतम अंतर रहे। इसके लिए विभिन्न रिहायशी कॉलोनियों, वाणिज्यिक क्षेत्रों और अन्य इलाकों में जमीन के बाजार मूल्य का भौतिक सर्वे किया जा रहा है।
बाजार मूल्य के आकलन के लिए सर्वे जारी
सरकार विभिन्न बैंकों से भी जमीन और अचल संपत्ति के वास्तविक बाजार मूल्य की जानकारी जुटा रही है, क्योंकि बैंक लोन स्वीकृत करने से पहले संपत्ति का मूल्यांकन करते हैं। रायपुर जिले में पिछले 7-8 वर्षों से कलेक्टर गाइडलाइन के तहत जमीन की कीमतें नहीं बढ़ी हैं और इस दौरान कोई विस्तृत सर्वे भी नहीं हुआ। हालांकि, हकीकत में रायपुर और जिले के अन्य इलाकों में जमीन की कीमतें दो से चार गुना तक बढ़ चुकी हैं। ऐसे में इस बार कलेक्टर गाइडलाइन दरों में बढ़ोतरी की संभावना प्रबल है।
कलेक्टर गाइडलाइन दरों के पुनरीक्षण की प्रक्रिया
रायपुर कलेक्टर गौरव सिंह ने बताया कि नई गाइडलाइन पर काम जारी है और प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद इसकी जानकारी साझा की जाएगी।
पंजीयन विभाग के अनुसार, अचल संपत्ति का बाजार मूल्य मार्गदर्शिका सिद्धांत वर्ष 2025-26 निर्धारित करने के लिए सभी जिलों के कलेक्टरों को निर्देश जारी किए गए हैं। संपत्ति के वास्तविक बाजार मूल्य का आंकलन पटवारियों और तहसीलदारों के माध्यम से किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त, निर्माण लागत, सरकारी नीलामी विक्रय और अन्य संबंधित आंकड़ों को संकलित कर समिति द्वारा विश्लेषण किया जा रहा है।
बदलाव के संभावित नियम:
- रोड से सटे व्यावसायिक या आवासीय कॉम्प्लेक्स के लिए केवल रोड की दर प्रस्तावित होगी।
- रोड से अंदर की दर अलग से प्रस्तावित नहीं की जाएगी, ताकि कोई भ्रम न हो।
- किसी रिहायशी कॉलोनी या मोहल्ले में 40 फीट से अधिक चौड़ाई वाली सड़क को मुख्य मार्ग माना जाएगा।
प्रस्ताव की अंतिम तिथि और लागू दरें
हर साल की तरह वर्ष 2025-26 के लिए अचल संपत्ति की बाजार मूल्य दरों का पुनरीक्षण किया जाएगा। उप जिला मूल्यांकन समिति स्तर पर सभी कार्यवाही 31 मार्च तक पूरी की जाएगी, जबकि केंद्रीय मूल्यांकन बोर्ड को प्रस्ताव 15 अप्रैल तक प्रस्तुत किया जाएगा।
गौरतलब है कि वर्तमान में 2017 की दरें लागू हैं, जबकि नियमानुसार हर साल कलेक्टर गाइडलाइन दरों का पुनरीक्षण किया जाना चाहिए। ऐसे में, इस बार राज्य सरकार द्वारा नई दरें लागू करने की पूरी संभावना है, जिससे प्रचलित बाजार दरों और सरकारी कीमतों में संतुलन स्थापित किया जा सके।